ज्ञान स्वरूपा,पद्मासिनी
कभी वरदायिनी दुःख हारिणी
कोमलांगी संतति वाहिनी
कभी भद्रकाली शत्रु संहारिणी
कामरूपिणी अर्धांगिनी
कभी गंगा ,यमुना तरंगिणी
ममता मूरत करुणामयी
कभी अष्टभुजा धारी दुर्गामयी
कल्पना सी विज्ञान वती
कभी उषा साइना सी तीव्र गति
लक्ष्मी ,मेघा ,धरा ,पुष्टि
कभी गौरी ,प्रभा ,धृति,तुष्टि
रणचंडी झांसी शक्ति
कभी जानकी सम अचला भक्ति
ये है नारी शक्ति ,ये है नारी शक्ति |
कभी जानकी सम अचला भक्ति
जवाब देंहटाएंये है नारी शक्ति ,ये है नारी शक्ति |
बहुत सुंदर एवं शक्तिशाली रचना ...
बधाई एवं शुभकामनायें ....!!
प्रभावपूर्ण प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंनमो नमो हे देवियों, सादर शीश नवाए ।
जवाब देंहटाएंरविकर करता वंदना, कृपा करो हे माय ।
कृपा करो हे माय, धाय को भी हम पूजे ।
पूजे नदी पहाड़, पूजते इंगित दूजे ।
करे मातु कल्याण, समर्पण सहन-शक्ति है ।
पूँजू पावन रूप, हृदय में भरी भक्ति है ।।
bahut sundar prastut,"nari tum sb par bhari ho...
जवाब देंहटाएंbahut sundar naari shakti .........sadaiv paripurn aur shaktishali hoti hai ...........badhai sundar....srajan
जवाब देंहटाएंप्रभावपूर्ण उत्कृष्ट सृजन,,,,बधाई,,,,राजेश कुमारी जी,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST: तेरी फितरत के लोग,
एक नये कोण देती कविता बहुत सुन्दर ...बधाई,शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंसुन्प्रदर,भावपूर्ण प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंगाफिल जी अति व्यस्त हैं, हमको गए बताय ।
जवाब देंहटाएंउत्तम रचना देख के, चर्चा मंच ले आय ।
सशक्त और प्रभावशाली प्रस्तुती....
जवाब देंहटाएंअनेक रूपा नारी जनक भी है पालक भी कल्याण कारी भी .वामांगी भी है दक्षिणा-अंगी भी .अंक -शायनी भी ,प्राथमिक आहार स्तन पान मुहैया करवाने वाली अन्नपूर्णा भी नवजात से लेकर आबाल -वृद्धों को .
जवाब देंहटाएंram ram bhai
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सोमवार, 8 अक्तूबर 2012
अथ वागीश उवाच :ये कांग्रेसी हरकारे
शारद दुर्गा लक्ष्मी , बंदहु बारम्बार
जवाब देंहटाएंज्ञान शक्ति सुख बाँटती,महिमा अपरम्पार
महिमा अपरम्पार ,जगत जननी कहलाती
कई रूप अवतार,सृजन कर सृष्टि चलाती
जड़ चेतन को मिली सदा तुझसे ही उर्जा
बंदहु बारम्बार , लक्ष्मी शारद दुर्गा ||
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंनारि शक्ति को नमन!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
सुन्प्रदर,भावपूर्ण प्रस्तुति...........लक्ष्मी ,मेघा ,धरा ,पुष्टि
जवाब देंहटाएंकभी गौरी ,प्रभा ,धृति,तुष्टि
रणचंडी झांसी शक्ति
वाह ...
जवाब देंहटाएंपुरुष केवल ब्रह्मा है उत्पादक है जनक है .नारी पालक विष्णु भी है कल्याण चाहने वाली संतानों का शिव रूप भी है .त्रिमूर्ति है .शिव शक्तियां हैं इस धरा पे नारियां .....आगे बढाएं रचना को सहायक शब्द ....क्यारियाँ ,किलकारियां ,दुलारियाँ ,प्यारियां ,रस रंगभरी पिचकारियाँ ,मेहतारियाँ,..........चर्चा मंच पे वागीश उवाच को बिठाने के लिए शुक्रिया तहे दिल से आपका .
जवाब देंहटाएंनारी शक्ति को नमन!
जवाब देंहटाएंहे नारी शक्ति रूपिणि, स्नेह रूपिणि, ममता और वात्सल्य रूपिणि
जवाब देंहटाएंतेरे हर रूप को नमन ।
BAHUT SUNDAR RACHNA
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