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गुरुवार, 29 सितंबर 2011

झील में उगता सूरज

हरित पलाश पुंज मिले मिले 
गुलाबी कमल दल खिले खिले !
झील के आँचल में थिरकन 
देखो शिकारे चले चले !
बकुल श्रंखला करती आहार 
डूब के जल में गले गले ! 
सिन्दूर साथ लिए आया दिवाकर 
झील की मांग भरे भरे !
शीतल मंद पवन संग मस्ती 
देवदार ,चिनार हिले हिले !
पंछियों के   कल कलरव 
लगते  करणों को भले भले !
परदेसी परिंदे दूर से आये 
देखो पर्यटन फूले फले !
पा के माँ की प्यारी झिडकी 
शिशु अलसाई आँखे मले मले!
देखो शिकारे चले  चले !  

बुधवार, 28 सितंबर 2011

भारतीय सेना और कश्मीरी बच्चों का सद्भावना टूर


इस पिक्चर में सब लड़कों के बीच में परमजीत सिंह 34 RR के कमांडिंग आफिसर 
यहाँ नारंगी ड्रेस वाले शख्स के बाद आर्मी ड्रेस में मेरा दामाद कर्नल परमजीत सिंह   
भारतीय सेना और कश्मीरी बच्चों का सद्भावना टूर 
क्या आपने कभी सोचा है की जहां दिन रात आतंक वाद पनपता है ,सक्रिय होता है और वारदातों को अंजाम दिया जाता है ,जहां हर दूसरे तीसरे दिन कर्फ्यू लगता रहता है वहां की जनता विशेषतया वहां के बच्चों की जिंदगी किस हाल में होगी कैसा होगा उनका भविष्य !
जी हाँ मैं कश्मीर के उन हिस्सों की बात कर रही हूँ जहां इंसान हर वक़्त डर और दहशत के साए में जीता है !कश्मीर के दूर दराज के गाँव के बच्चे या तो डर से स्कूल नहीं जाते जाते हैं तो हमेशा डर   से सहमे सहमे जो जरा सी आहट से सकुचा जाते हैं !
जिन्होनें कभी श्रीनगर तक नहीं देखा !जहां आतंक उनके जीवन में बहार आने ही नहीं देता !
इस और हमारी भारतीय सेना ,जो कश्मीर में तेनात है सराहनीये कार्य कर रही है !अपनी कुछ योजनाओं के तहत कश्मीरी लोगों को  सुरक्षा प्रदान करना ,उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार  करना ,उनकी जिंदगी से आतंक का साया ख़त्म करना आदि हैं !वहां के बच्चों को बाहर की दुनिया दिखाना ,हमारे देश में कैसे सब धर्म ,संस्कृति के लोग एक साथ स्नेह प्यार से मिलजुल कर रहते हैं इत्यादि दिखाना है!
इस योजना के तहत भारतीय सेना ने एक सद्भावना टूर का आयोजन किया है इसमें वहां के  लगभग २५ पच्चीस स्कूली लड़कों को शामिल किया गया है !उनको कुछ शहरों को दिखाया जा रहा है जैसे जम्मू ,चंडीगढ़ ,देहरादून आदि !इनके साथ उरी के विभिन्न स्कूलों के तीन अध्यापक और सेना के दो आफिसर हैं !
यह टूर कल्पहार ब्रिगेड जो डग्गर डिविसन के हैं के द्वारा आयोजित किया गया है !२५ सितम्बर से चार अक्टूबर तक का समय दिया गया है !उनके टूर का  शुभारम्भ २५ सितम्बर को ३४ R R    के कमांडिंग आफिसर कर्नल परम जीत सिंह (जो मेरे दामाद हैं )के द्वारा किया गया है !झंडी दिखाकर उनकी वोल्वो डीलक्स  बस को विदा किया गया उस समय श्रीनगर के स्थानीय जाने माने लोग भी शामिल थे दूरदर्शन और प्रेस रिपोर्टरों ने भी कवरेज किया था !वो बच्चे कल मेरे देहरादून पहुच रहे हैं !
देहरादून में उनका हार्दिक स्वागत है !
जय हिन्द!

रविवार, 25 सितंबर 2011

ऐ मेरी नन्ही परी

मेरी उपासना 
मेरी आकांक्षा 
मेरी पूँजी 
मेरा अह्म्मान !
मेरी यामिनी 
मेरी भोर 
मेरी जिंदगी 
साँसों की डोर !
मेरा अस्तित्व 
इन्द्रधनुषी सपने 
मेरी ग़ज़ल ,कविता 
और सब गीत अपने !
मेरा चाँद ,मेरा सूरज 
ऐ मेरी मोहिनी मूरत!
सब तेरी इस उन्मुक्त ,भोली मुस्कान के सदके
मुस्कान के सदके !! 

बुधवार, 21 सितंबर 2011

आँखें

मैंने देखी झील सी निश्छल, नवल जीवन में जब आई आँखे !

मैंने देखी अश्रुओं से भीगी भूख से कुम्भ्लाई आँखें !
मैंने देखी लालच ,फरेब ,मक्कारी से बौराई आँखें !


मैंने देखी वैमनस्य और द्वेश से चकराई आँखें ! 
मैंने देखी नफरत और हिंसा से खून में नहाई आँखें !
मैंने देखी संघर्ष से थकी जड़वत सी पथराई आँखें !
मैंने देखी जिंदगी में खुल के पछताई आँखें !
फिर हाथों से बंद कराई आँखें !
  

सोमवार, 19 सितंबर 2011

थक गए हैं पाँव मुसाफिर

थक गए हैं पाँव मुसाफिर 
आ थोडा विश्राम कर लें 
इस धरा का बना बिछौना
ऊपर से आकाश ओढ़ लें !
           इस पथ पर पुष्प खिले थे 
           या कांटो का जाल था 
           हरित सघन बट छाया थी 
           या अंधड़ भूचाल था 
क्या पाया क्या खोया हमने 
आ थोड़ी ये गणना कर लें 
थक गए हैं पाँव मुसाफिर 
आ थोडा विश्राम कर लें !
             शांति ,सत्य ,सन्मार्ग ,समर्पण 
             आ कुछ उनकी खोज खबर लें 
             खो गए थे जो राहों में 
             आ उनको बाहों में भर लें !
भूल के अपने जख्मों को 
ये सोचो क्या खोया हमने 
याद करो किसके दिल पर 
आज मरहम लगाया हमने 
             खुद के लिए जिए थे अब तक 
             आ औरों की खातिर जी लें 
             अहम् का  नशा पिया था अब तक 
             आ औरों का दर्द भी पी लें !
             

शनिवार, 17 सितंबर 2011

दो शाएरी



सोचा था आज तो कुछ कहेंगे लब
पर धडकनों के शोर में 
फिर से शब्द खामोश हो गए !!

शायद लटकाया था जमीं पर जानबूझ कर
 आँचल उसने 

जब तक हम उठाते वो दूर चले गए !

शुक्रवार, 9 सितंबर 2011

कश्मीर, धरती पर स्वर्ग


जहांगीर ने कश्मीर की सुन्दरता को देखकर कहा था ......अगर फिरदोस बार रूए ज़मीन अस्त ,हमीन असतो हमीन असतो,हमीन असतो!
अर्थात अगर जमीन पर कहीं स्वर्ग है तो वो यहीं है यहीं है!.....बिलकुल सही कहा था !
लेह से वापस आकर हमारा कश्मीर देखने का प्लान था,अतः एक दिन आराम करके हम कश्मीर की सैर करने निकल पड़े !दो दिन का ही वक़्त था हमारे पास!पहले हमने निशात बाग़ और उसके बाद डल झील में घूमना और रात को  हाउस बोट में रुकने का प्लान बनाया !देखिये कुछ चित्र !
निशात बाग़ की ख़ूबसूरती देखते ही बनती थी न जाने कितने फोटो खींच डाले कुछ आप भी देखिये......
यहाँ घूमने के बाद हम लोग डल लेक पर पहुच गए !डल लेक में घूमते  हुए शिकारे, बोट हाउस बोट की खूबसूरती ने मन मोह लिया तारीफ़ के लिए शब्द कम पड़ रहे हैं !हमने रोवेल्ल हाउस बोट में कमरे पहले से ही बुक करा रखे थे !पहले रूम में बेग्स रखकर ही बोट से घूमना था!पहले बोट से हम अपने हाउस बोट रोवेल्ल तक पहुंचे !


यही हमारा हाउस बोट था और उसका मालिक बोट से आ रहा है बहुत ही खूबसूरत हाउस बोट है इसमें हमने एक रात गुजारी जिसे हम कभी भूल नहीं पायेंगे यहाँ का खाना भी लाजबाब था!
देखिये हाउस बोट का डाइनिंग हॉल 
यह देखिये हाउस बोट में ही शापिंग होने लगी !
डल झील में सूर्योदय का नजारा 



देखिये कुछ चित्र !..... ओर विडियो ...
यह देखिये कमल की पत्तियां !
हाउस बोट में एक रात रुकने के बाद हमने अगले दिन गुलमर्ग में बिताने की योजना बनाई !अतः हम गुलमर्ग की और चल दिए !रास्ते से ही खूबसूरत लम्बे लम्बे देवदार और चिनार के वृक्ष शुरू हो गए !अब हम गुलमर्ग पहुँच चुके थे वंहा पंहुच कर सबसे पहले हमने एक शिव मंदिर जिसमे आपकी कसम पिक्चर का गाना जय जयशिव शंकर फिल्माया गया था उसे देखा !मंदिर देखने के बाद घुड़सवारी का मजा लिया !


घुड़सवारी के बाद हमने कुछ एडवेंचर गेम किये! देखिये
इसे अब्जोर्बिंग बोल कहते हैं यह रबर की दो तीन लेयर से गोल किया है अंदर आमने सामने दो लोगों को अच्छे 
से बांध दिया जाता है फिर उसे उंचाई से नीचे की और धकेल दिया जाता है!इस को करने में तो मानो जान ही
निकल गई थी फिर एक थ्रिलिंग अनुभव रहा जिसे कभी भूल नहीं सकती !
चित्र .......एक विडियो भी देखिये......
एक बार वक़्त मिला तो शूटिंग भी की......
फिर एक दिन वंहा बिताकर वापिस दिल्ली आ गए !कश्मीर की ख़ूबसूरती 
को देखकर मैं भी यही कहूँगी कि जन्नत यहीं है ! यहीं है !इस कमल कि
खूबसूरत तस्वीर के साथ मैं अपनी कश्मीर यात्रा समाप्त करती हूँ !