वसुंधरा अपनी चिर परिचित गति से घूम रही है,
निशानाथ परदेश भ्रमण की तैयारी में है,
सखी निशा भी धीरे- धीरे सितारों को अपने आँचल में भर रही है!
अन्तरिक्ष का केनवास स्पष्ट हो गया है,
नन्हा चित्रकार मस्तिष्क जाग रहा है!
क्यूँ न आज इस केनवास पर माँ का चित्र बनाऊं
तू कितनी प्यारी है माँ ,ये दुनिया को दिखलाऊं !
नारियल के वृक्षों को जोड़कर लंबी सीढ़ी बनाई
और अम्बर तक पहुचाई !
छुट मुट घनों के टुकड़ों को नन्हे हाथों से एक तरफ हटाया,
पर्वतों के गर्भ से खींच कर पेन्सिल निकाली
और माँ का सलोना चेहरा बनाया!
फिर फल फूलों से कुछ इन्द्रधनुष से रंग लेकर ,
पास में ही रखे हुए चांदी के थाल में एकत्र किये!
थोडा सा झुककर बंगाल की खाड़ी के
सागर में अंजली डुबोकर जल लिया और रंग तैयार किये!
काश्मीर की घाटी से चिनार के पत्तों से ब्रुश बनाया
माँ के चेहरे को रंगों से सजाया !
कोयल से थोड़ा काला रंग लेकर माँ की आँखों में काजल लगाया !
रवि की पहली किरण ने माँ के माथे पर बिंदी लगा दी !
तितलियों ने अपने पंखों की हवा से गीला रंग सुखाया !
तस्वीर पूर्ण हुई !
निहारते हुए वह बोला "देखो कितनी सुन्दर थी मेरी माँ "
जैसे ही उसने यह कहा किसी ने उसकी सीढ़ी जोर से खींच ली,
ओर वो धम्म से नीचे आ गिरा!
कानो में आवाज आई हरामखोर सपने ही देखता रहेगा
काम पर नहीं जाना है क्या ?
आँखों में दर्द के बादल, पर उसके हर्दय में
नए साल के नए शुभ प्रभात में
एक संकल्प की ज्योति जल चुकी थी
इस सपने पर सिर्फ मेरा हक है !
मैं यह कर दिखाऊंगा
हकीकत की सीढ़ी से
सफलता का ध्वज आसमां पर फहराऊंगा
अपना भविष्य खुद बनाऊंगा !!!
कहते हैं स्वप्न सिर्फ पलकों में सोते हैं
पर होंसले बुलंद हो तो स्वप्न पूर्ण होते हैं !
नव वर्ष की सभी मित्रों को शुभकामनाएं