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मंगलवार, 25 सितंबर 2012

खोल दूंगी ये तिजौरी


बंद करके रख दिए 
वो पल वो शब्द 
वो वाकये जो आह्लादित   
मलय की सुगंध देते थे ,
मन की तिजौरी में,
और वक़्त की बांह पकड़े 
उड़ चली कल्पना लोक में  
सोचा जब थक जाऊं 
मन वितृष्णा  से भर जाए 
विरक्ति अपने पंजे में 
जकड़ने लगे 
गमों   के बादल 
आँखों में बसेरा कर लें 
जीवन आख्याति 
समापन का रुख करे 
तब खोल दूंगी ये तिजौरी 
और लम्बा श्वांस 
लेकर आत्मसात कर लूँगी 
इस सुगंध को 
नव्य जीवन की ऊर्जा  हेतु !! 

रविवार, 23 सितंबर 2012

भावनाओं का दमन,


संवेदनाओं का संकुचन देख रहे हैं 
आदान-प्रदान सब गौण  हुए  
अब ऐसा चलन देख रहे हैं |
स्वार्थ के बढ़ते  दाएरे
जनजन  को छलते देख रहे हैं 
हिंद  का वैभव स्विस बेंकों में 
 हक को जलते देख रहे हैं |
भ्रष्टाचारी को जीवंत
संत ज्ञानी को मरते देख रहे हैं 
अगन उगलते सूरज में
नम धरा झुलसते देख रहे हैं | 
दूध की नदियाँ उनके प्रांगण
ये सूखी प्याली देख रहे हैं 
कनक की रोटी उनके घर में 
ये खाली थाली देख रहे हैं |
देख के विघटित स्वर्ण चिरैया
शत्रु जाल फेंकते देख रहे हैं 
भावी देश की सूरत को हम 
नभ दर्पण में  देख रहे हैं |
        *****

    

गुरुवार, 20 सितंबर 2012

एक भैंस की तस्वीर ने ब्लोगर बना दिया


मेरी बुक ह्रदय के उद्दगार के विमोचन के समय मुझसे किसी ने सवाल किया था की आप ब्लोगर कैसे बनी उनको तो एक सीधा सरल सा जबाब दे दिया था कि नेट पर सर्च करते करते ब्लोगिंग का पता चला और ब्लॉग शुरू कर दिया पर वास्तविकता कुछ और है बहुत रोचक घटना है मेरी ब्लोगिंग के पीछे बहुत दिनों से आप सब से शेयर करना चाहती थी सो आज आज सोचा कुछ अलग लिखूं |
ब्लोगर से पहले मैं ओर्कुटर थी ऑरकुट एक फेस बुक की तरह की वेब साईट शायद अधिकतर लोग जानते होंगे ,खूब मजे से ओर्कुटियाते थे एक से बढ़कर एक चित्र चिपकाते थे ,लोग टिपियाते थे|एक बार मेरे एक ऑरकुट मित्र मुकन्दा/आक्रोशित मन (आजकल कवी विद्रोही रवि भी लिखते हैं)ने एक फोटो पोस्ट की भैंस  पर  खड़ा  हुआ लड़का ,फिर क्या था टिप्पणियों की बौछार हो गई|मुझे भी उस चित्र  ने आकर्षित किया जैसे ही मैं टिपण्णी करने लगी तो मुझे सबसे ऊपर एक टिपण्णी दिखाई दी जो किसी दीनदयाल शर्मा जी की थी लिखा  था ---फोटो मेरा और वाह वाही पाओ तुम कम से कम मेरा नाम तो लिख दिया होता पहले तो मैंने सोचा शायद भैंस के ऊपर जो लड़का है उसका कमेन्ट है किन्तु अगली टिपण्णी में बात साफ़ हो गई जिसमे लिखा था फोटो खींचूँ मैं और टिप्पणियाँ बटोरो तुम ---सच मानिए ये टिप्पणी का मजेदार सिलसिला काफी लम्बा चला फिर मैंने उत्सुकता वश दीनदयाल जी की प्रोफाइल को खोलकर देखा वहां उनके ब्लॉग का लिंक पाया दीनदयाल शर्मा उसपर क्लिक किया तो देखा वो एक बहुत जाने माने राष्ट्रपतिके हाथों से सम्मानित एक बाल साहित्यकार  हैं उनकी बहुत सी बुक प्रकाशित हो चुकी हैं |बस वहां से आइडिया मिला और अपना ब्लॉग क्रियेट किया ,इस तरह मेरे ब्लॉग का जन्म हुआ जब सबसे पहली कविता  पोस्ट  की तो सबसे पहली  उत्साह वर्धन करती हुई टिपण्णी कविता रावत जी की आई ११ मई 2010 को उसके बाद देव, ,दीनदयाल शर्मा जी और रूपचंद्र शास्त्री जी की टिप्पणियों से उत्साह वर्धन हुआ और इस तरह ते सफ़र शुरू हुआ| और धन्यवाद उस तस्वीर का कवि मुकन्दा जी का और विशेष आभार उस तस्वीर के जनक दीनदयाल शर्मा जी का देखिये उन टिप्तिपाती वार्तालाप की झलक --- incredible thinker - it is your photo....very nice.............aap bachpan me aise the.................i m just joking sir.............
Jun 28, 2010
आक्रोशित मन.... .ना माने मन की बात ... - ये मेरा नहीं मुकन्दा का फोटो है
Jun 28, 2010
आक्रोशित मन.... .ना माने मन की बात ... - ........मुकन्दा यानी हर वो व्यक्ति जो आत्म सचेतन है और सबका दोस्त है ..मै भी मुकन्दा हूँ...ये अभी हाल फिलहाल का फोटो है पुराना नहीं
Jun 28, 2010
Jun 28, 2010
- nice pic.......................kya baat hai sir.........!!!!
Jun 28, 2010
KAVI*SUMIT * MISHRA - bahut achha kaam hai
Jun 28, 2010
Jun 28, 2010
rajesh kumari - photo achcha laga aur jiska photo hai uska comment padh kar aur achcha laga.
Jun 28, 2010 
Atul Agarwal - kamaal ka santulan
Jun 28, 2010
Atul Agarwal - fotografer n b kamal kiya h.....unko b badhai
Jun 28, 2010
जोगी ... - waah waah !!!
Jun 28, 2010
deendayal sharma - Mere dwara kheeche gye photo par itne comments....aur mera comment kisne hta diya...? wah ! photo kheechoon to main aur badheeyan...Mukunda ji ko...mere orkut photos men to tiltle ke saat lga hai...ye... show more
http://www.deendayalsharma.blogspot.in--------अभी चलकर दीनदयाल जी को इस पोस्ट की खबर करती हूँ नहीं तो फोटो देखकर ऊँऊँ ////बचाओ| कहिये पोस्ट कैसी लगी ?
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सोमवार, 17 सितंबर 2012

मुट्ठी में अंगार


) जिह्वा उगल रही जहर ,मुट्ठी में अंगार

   कोप धुंआ ढाता कहर ,झुलस रहा संसार|| 

() नफरत की इस आग से ,कोई ना बच पाय
    धीमे -धीमे फैलती ,सभी भसम कर जाय || 

() क्रोध,द्वेष ,ईर्ष्या ,जलन ,मति के चार विकार
     विनम्रता  सु  ज्ञान  ,विनय ,ये तीनों  उपचार || 

() प्रेम भाव से जो रहे ,प्रभु में ध्यान लगाय
    मुट्ठी में अंगार की, लौ शीतल हो जाय || 

() क्रोध अगन अंगार है ,संयम शीतल धार
    जो इतना समझा यहाँ ,उसका बेडा पार || 

() ज्ञान  हरे अज्ञानता ,शान्ति हरता क्रोध
    उर में जिसके आग है,उसे नहीं कछु बोध || 

() त्याग करे जो बैर का, प्यार चित्त में लाय
प्रभु उसका कल्याण कर , मोक्ष पंथ दिखलाय || 

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कुंडली 
काला धन वापस  मिले ,भागे भ्रष्टाचार 
भड़क गया जो ये कहीं ,मुट्ठी का अंगार 
मुट्ठी का अंगार , धुंआ बेहद जहरीला
कर देगा ये क्रोध  ,चेहरा काला पीला 
बंद करो ये बाँट ,विषमय मौत की हाला 
अच्छा ना ये  भ्रात ,कोयले सा मुख काला 
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शनिवार, 15 सितंबर 2012

मेरे सपनो का भारत


घर- घर में कामधेनु गैया हो 
निर्मल बहती गंगा मैया हो 
जहां  पावन धरा की नीव में 
ईमान की स्वर्णिम  इमारत हो
वो मेरे सपनो का भारत हो |
सत्य अहिंसा दिल के पास मिले 
हर इक चेहरे पर मुस्कान खिले
जहां शब्द कोष के प्रष्ठों   से 
भ्रष्टाचार का नाम नदारद हो 
वो मेरे सपनों का भारत हो |
उन्नत हिमालय  की  गरिमा बढ़े  
स्वस्थ पर्यावरण की धूप चढ़े 
जहां मानव के स्वस्थ मस्तिष्क से 
अपराध के मंसूबे गारत हों 
वो मेरे सपनो का भारत हो |
वर्ण वर्ग का कोई भेद ना हो 
शासन के नियमों में छेद हो 
प्रेम स्नेह के म्रदु फल हों जिसके 
ऐसा कल्प तरु नव भारत हो 
वो मेरे सपनों का भारत हो |
हर बालक नीति का पाठ पढ़े 
वृद्धों का मान   सम्मान बढे 
भारत एक सोन चिरैया है 
जहां साकार ये कहावत हो 

वो मेरे सपनों का भारत हो

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