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मंगलवार, 30 अक्तूबर 2012

करवाचौथ की फुलझड़ियाँ ("माहिया" में पति पत्नी की चुहल बाजी


करवाचौथ की फुलझड़ियाँ  ("माहिया" में  पति पत्नी की चुहल बाजी मात्राएँ 12,10,12 गायन की सुविधा के लिए कहीं कहीं मात्राएँ कम ज्यादा हो सकती हैं )        
(पत्नी )
सास को बुलाऊंगी 
जब अपना पहला 
करवाचौथ मनाउंगी 
(पति )
मम्मी जी  जाना 
पर्व  के बहाने
तुम पैर दबवा  जाना 
(पत्नी )
सासू जी जाना 
ले कर  शगुन  अपने 
कंगन देती जाना 
(पति )
चंदा जब आएगा 
बदरी छटने दो 
साजन मुस्काएगा 
(पत्नी )
इमली  का वो  बूटा 
तेरे लिए सजना 
प्यार ये झूठा 
(पति )
ये  दिन तो  अपना है
पूजा हो मेरी  
इक साल का सपना है 
 (पत्नी )
तू देख  तरस खाना 
प्यारे चंदा 
जरा  जल्दी जाना 
(पति )
मौसम ये  सुहाना है 
तरसने दो नैना 
फुर्सत से जाना है 
(पत्नी )
जरा जल्दी जाना 
मेरे लिए  पंद्रह 
रसमलाई ले आना 
(पति )
रसमलाई खाना है 
आदत है तेरी 
उपवास का बहाना है 
(पत्नी )
यूँ मुझे  सताओगे 
रूठ गई मैं तो 
टसुवे तुम बहाओगे 
(पति )
ऐसी भी दूरी ना
करवे का उत्सव 
कोई मजबूरी ना 
(पत्नी )
ज्यादा ना माँगूंगी
हीरे के नेकलिस 
से  काम चला लुंगी 
(पति )
जाँ पे बन आई है 
 तुझे कहूँ कैसे 
तनखा ना  आई है  
(पत्नी )
मैके चली जाउंगी 
मुझे  सताओगे 
वापस ना आउंगी 
(पति )
पत्नी के जमाने हैं 
चल मैं  मान गया 
सात वचन निभाने हैं 
(पत्नी )
बड़ा पुण्य कमाया है 
किस्मत है तेरी 
जो मुझको पाया है 
(पति )
खुशियों की ये घड़ियाँ 
 बंद करें अब हम
ये कड़वी फुलझड़ियाँ 
(दोनों )
ये दिवस  सुहाना है 
     करवे का उत्सव
   ख़ुशी से  मनाना है
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बुधवार, 24 अक्तूबर 2012

विजय दशमी (तीन दोहे दो रोले )


विजय दशमी (तीन दोहे दो रोले )
इक रावण को फूंक के ,मानव तू इतराय 
नष्ट करेगा कब जिसे ,उर में रहा छुपाय
सच्चाई की जीत हो ,झूठ का हो विनाश 
कष्ट ये तिमिर का मिटे ,मन में होय प्रकाश 
सत स्वरूपी राम है ,दर्प रूप लंकेश 
दशहरा पर्व से मिले ,यही बड़ा सन्देश 
(दो रोले )
दैत्यों का हो अंत ,मिटे जग का अँधेरा 
संकट जो हट  जाय,वहीँ बस होय सवेरा 
अपना ही मिटवाय ,छुपाकर अन्दर धोखा 
लंका को ज्यों ढाय,बता कर भेद अनोखा 


इंसा को दे मार ,अहम् का सर्प विषैला 
मत कर ना विश्वास,बड़ा यह दंश कसैला 
सद्जन उन्नत काम ,यहाँ अक्सर कर जाते 
सच का लेकर साथ ,महा सागर तर जाते  
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शुक्रवार, 19 अक्तूबर 2012

लक्ष्मी घर में कैसे आये कुछ टिप्स (हास्य )


दीवाली की रात से पहले  लक्ष्मी पूजा की तैयारी में लगे पडोसी  जीवन को देख कर नवीन जी से रहा नहीं गया और जा धमके उनके सामने ,नमस्कार करके बोले -"जीवन जी आप जो ये छोटे छोटे पैर लाल रंग से बना रहे हैं क्या सचमुच रात को देवी आती है?
क्या आपने उसको कभी आते हुए देखा?जीवन बोले- "हाँ आती है! इसी लिए तो बना रहा हूँ, तुम ठहरे नास्तिक तुम कहाँ समझोगे"| नवीन जी बोले-     "जी नहीं भगवान् को तो मैं मानता हूँ पर इन सब आडम्बरों में विश्वास नहीं रखता वैसे आज मुझे बता ही दो ये सब क्या फंडा है? ये बात तो मैं मानता हूँ कि हम दोनों एक सी तनख्वा पाते हैं फिर भी मेरा महीना निकलना मुश्किल हो जाता है और तुम्हारा बैंक बेलेंस बढ़ता जाता है, बैंक में जब भी मिलते हैं मेरे हाथ में विद्ड्रा स्लिप रहती है तुम्हारे हाथ में  डिपोजिट वाली वो सब कैसे समझ नहीं आता"| जीवन जी बोले "चल आराम से बैठ सब समझाता हूँ, सुन लक्ष्मी को बुलाने के लिए जो टिप्स मैं बताऊँ वो पूरे साल करना और फिर मेरी तरह लक्ष्मी जी के छोटे छोटे पैर रंगोली से बनाना फिर देख तेरे घर में भी लक्ष्मी आएगी"
नवीन जी ध्यान से सुनने लगे| जीवन जी बोले "देख सबसे पहले सुबह का अखबार पडोसी के उठने से पहले पढ़ डालो और वापस रख दो,अब दैनिक आवश्यकता की सबसे छोटी चीज से शुरू करते हैं जैसे कोलगेट तुम जैसे लोग क्या करते हैं कि उसे ख़त्म होने से पहले ही फेंक   देते हो ट्यूब में अगर हाथ से दबाने से निकलना बंद हो जाए तो कोई बात नहीं हथौड़ी से मार-मार के निकालो जब तक वो लिज्जत पापड़ जैसी चिनचुटी ना हो जाए, बिल गेट भी  ऐसा ही तो करते थे पहले | अब आते हैं कपड़ों पर, आप जैसे लोग जरा से पुराने हुए की उतार कर फेंक दिया अरे यार कम से कम बनाने वाले की मेहनत की ही लाज रख लो तब तक पहनो जब तक उसमे खिड़की दरवाजे खुल जाएँ अगर खुल भी गए तो कोई बात नहीं परदे डलवालो  कुछ दिन स्टाइल ही सही | लक्ष्मी मित्तल  जी भी पहले ऐसा ही करते थे | अब आते हैं मेहमान वाजी के खर्चों पर तो देखो किसी के घर जाओ तो खाने का समय हो और किसी को अपने घर ऐसे वक़्त पर बुलाओ जब चाय का भी वक़्त ना हो जब वो जाने लगे एक बार जरूर सम्मान के लिए कह देना अरे चाय वाय पीकर जाते,पहले टाटा बिरला भी ऐसे ही करते थे
 आज कल जूते भी बहुत मंहगे हो गए हैं तो उन्हें तब तक पहनो जब तक वे बगावत पर उतर जाएँ अर्थात उंगलियाँ बाहर के नज़ारे ना देखने लगें और मना करने पर कुत्ते कि तरह काटने ना लगें |
और भाई पेट्रोल डीजल इतना महंगा हो गया है कोई जरूरी नहीं अपना स्कूटर या गाडी रोज निकाल कर चल दो बोलो गाडी खराब हो गई है कोई ना कोई तो लिफ्ट देगा ही फिर उसकीगाडी में बैठ कर आराम से बादाम के पैकेट में मूंग फली चबाओ पहले धीरू भाई अम्बानी भी ऐसा ही करते थे | 
रसोई गैस तो खरीदनी मुश्किल हो गई है बाहर गार्डन में बॉन फायर के बहाने खिचड़ी पकाओ | बच्चे तो पटाखों में पैसे बर्बाद तो करवाएंगे ही बढ़िया उपाय एक बार बड़े बड़े बम ओर अनारों की आडिओ रिकार्डिंग करके रख लो हर साल वोल्यूम हाई करके बजा दीजिये वैसे भी आजकल लोग पूजा की आरती खुद कहाँ गाते हैं | एक बहुत बड़ी टिप्स --किसी को पैसे उधार दो तो २४ घंटे में मांग लो और किसी से उधार लेते हो तो भूल जाओ किसी दिन वो ही याद दिलाएगा तो माफ़ी मांग लो, पहले अजीम  प्रेम जी भी ऐसा ही करते थे  | बस ये समझ लो की अगर दूध में मक्खी गिर जाए तो उसे निकाल फेंकने से पहले उस पर चिपटी मलाई उतार लो | समझ गए नवीन भाई टिप्स तो बहुत हैं बाकी फिर कभी समझाऊंगा अभी लक्ष्मी जी के पैर बनाने हैं" | यह सुनकर नवीन भाई उठकर चलने लगे तो जीवन भाई ने कहा "अरे बातो बातो में भूल ही गया चाय वाय तो पीकर जाते" |नवीन जी फिर कभी बोलकर मन ही मन बचत की टिप्स रटते हुए जाकर बेटे से बोले "जा बेटा तू भी लक्ष्मी जी का पैर बना" पर हाय नवीन जी की किस्मत, जब सुबह ध्यान दिया तो देखा बेटे जी ने लक्ष्मी जी के पैर घर में आते हुए की बजाय  घर से बाहर जाते हुए बना दिए थे |शुभ-शुभ दीपावली
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