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बुधवार, 14 दिसंबर 2011

पर का बोझ

मेरे ख़्वाबों के परों को आसमाँ मिलता रहा पर,उसको गज भर जमीं  ना मिली !
कितनी सुद्रढ़ है मेरे आशियाने की नीव पर ,  उसको एक पग देहली  ना मिली!
हीरे मणिक,रत्नों से भरा है मेरा पारावार पर, उसको खारी एक बूँद  ना मिली!
सतपक्वानो से भरी है मेरी थाली पर, उसे दो सूखी रोटी  ना मिली !
कितनी गर्म ,नर्म है मेरी रिजाई पर,उसे फटी एक कंबली  ना मिली !
फिर भी कितने सुकून से सोता है वो पर ,मुझे इक पहर भर नींद ना मिली !
और मैं इस पर के बोझ से भरी गठरी को अपनी नाव में रख कर जीवन भर खेती चली गई !!!     

24 टिप्‍पणियां:

  1. काश कि जो अपने पास था लुटाया होता
    तब इस पर ने न इतना सताया होता

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  2. काश, कुछ ऐसा होता,
    काश, कुछ वैसा होता।

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  3. इस किन्तु परन्तु के चक्कर में ही तो जिंदगी गुजर जाती है और पता भी नहीं चलता ।
    सुन्दर प्रस्तुति ।

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  4. पारो की चाह रखने वाले को जमीं पर आशियाना नहीं बनाना चाहिए ... जब पूरा गगन है उसके लिए तो उड़ते जाना चाहिए ... सुन्दर रचना है ...

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  5. फिर भी कितने सुकून से सोता है वो पर ,मुझे इक पहर भर नींद ना मिली ...
    सुन्दर प्रस्तुति |

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  6. ये पर का बोझ वाकयी बहुत भारी होता है ..

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  7. पर के बोझ को बहुत करीने से सहेजा है।

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  8. आर्थिक प्रगति के आंकड़ों को कसके चपत लगाती रचना .

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  9. बहुत सुन्दर प्रस्तुति । मेरे मए पोस्ट नकेनवाद पर आप सादर आमंत्रित हैं । धन्यवाद |

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  10. पर का बोझ हमेशा ही भारी होता है ....हर एक के जीवन में !!!
    शुभकामनाएँ!

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  11. 'par' ek aisa shabd bhaav hai jivan ke liye jo kai sawaal chhod jata hai par ham jaante hue bhi kah nahin paate. shubhkaamnaayen.

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  12. बोझ हमेशा ही भारी होता है.. सुन्दर अभिव्यक्ति !

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  13. बहुत कुछ नहीं होता , इसी 'पर' के साथ जीना होता है...ये जीवन एक संघर्ष है, एक तपस्या है!

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  14. bahut badiyaa prastuti.badhaai aapko .

    आपकी पोस्ट आज की ब्लोगर्स मीट वीकली (२२) में शामिल की गई है /कृपया आप वहां आइये .और अपने विचारों से हमें अवगत करिए /आपका सहयोग हमेशा इसी तरह हमको मिलता रहे यही कामना है /लिंक है

    http://hbfint.blogspot.com/2011/12/22-ramayana.html

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  15. जिन राहों पर रोका उसने
    मैं उन राहों पर जाती रही !
    पतन खड़ा तेरी चौखट पे
    मैं जीत का जश्न मनाती रही,

    bahut kuch sametati hui rachana hai ... abhar.

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