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बुधवार, 21 सितंबर 2011

आँखें

मैंने देखी झील सी निश्छल, नवल जीवन में जब आई आँखे !

मैंने देखी अश्रुओं से भीगी भूख से कुम्भ्लाई आँखें !
मैंने देखी लालच ,फरेब ,मक्कारी से बौराई आँखें !


मैंने देखी वैमनस्य और द्वेश से चकराई आँखें ! 
मैंने देखी नफरत और हिंसा से खून में नहाई आँखें !
मैंने देखी संघर्ष से थकी जड़वत सी पथराई आँखें !
मैंने देखी जिंदगी में खुल के पछताई आँखें !
फिर हाथों से बंद कराई आँखें !
  

20 टिप्‍पणियां:

  1. उफ़ बेहद गहन विश्लेषण कर दिया।

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  2. ओह ... बहुत संवेदनशील ... चित्र भी सारे उपयुक्त लगाए हैं

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  3. आखों की भाषा का सुन्दर चित्रण ।

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  4. आँखो की सही परिभाषा दी है आपने इस रचना में!

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  5. बहुत सुंदर भाव्मई शानदार रचना /बहुत बधाई आपको /
    मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है जरुर पधारें /

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  6. कितना कुछ कह दिया~ आँखों ही आँखों में..गहन विश्लेषण .बहुत सुन्दर....

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  7. चित्रों के आँखों की कहानी लाजवाब लगी ...

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  8. मैंने देखी संघर्ष से थकी जड़वत सी पथराई आँखें !
    मैंने देखी जिंदगी में खुल के पछताई आँखें !
    फिर हाथों से बंद कराई आँखें!

    तस्वीरों के कारण पोस्ट का चित्रण अधिक कारगर रहा है!बहुत अच्छी रचना!

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  9. waah...
    aankhe hi aankhe...
    aaj in aankho ne bhi kuch naya prayog dekha... bahut sundar...
    waah...

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  10. बहुत सुन्दर कविता और प्रेक्षण पारखी आँखें .

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  11. एक बड़े कैनवास पारखी दृष्टि से रिसती वेदना को समेटे है यह रचना जीवन के विविध रंगों को समेटती रूपायित करती .

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  12. Loved this post...
    I agree eyes speaks a lot.
    Sometimes a glance says much more than an hour speech !!!

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  13. आंखों की विभिन्न संवेदनाओं को बहुत ही विभिन्न रंगों मे प्रस्तुत किया है, शुभकामनाएं.

    रामराम

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  14. आप की पोस्ट ब्लोगर्स मीट वीकली (१०) के मंच पर शामिल की गई है /आप आइये और अपने विचारों से हमें अवगत करिए /आप हमेशा ही इतनी मेहनत और लगन से अच्छा अच्छा लिखते रहें /और हिंदी की सेवा करते रहें यही कामना है /आपका ब्लोगर्स मीट वीकली (१०)के मंच पर आपका स्वागत है /जरुर पधारें /

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  15. मैंने देखी जिंदगी में खुल के पछताई आँखें !
    फिर हाथों से बंद कराई आँखें !

    ...जीवन के विभिन्न रंगों को आँखों के माध्यम से दिखाती बहुत संवेदनशील प्रस्तुति ... ..आभार

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