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मंगलवार, 31 मई 2011

आदत ये पेंच लड़ाने की

                                                            छोड़ दो आदत पुरानी
                                       पतंगों से पेंच लड़ाने की 
                                      काट के गर्दन किसी की 
                                        कहकहे लगाने की !
                                                   अब समझो न इसको दुर्बल 
                                                   स्वाभिमान और आत्मनिर्भरता  
                                                   बढाते हैं अब इसका मनो बल !
                                           उच्च शिक्षा और ज्ञान से 
                                         बनी है ये डोर नई  जमाने की 
                                         काट न पाओगे इसको 
                                         छोड़ो ये जिद बढ़ाने की ! 
                                                  करो न अब ये भूल 
                                                  न झूठे दंभ के स्तम्भ पर चढ़ते रहो 
                                                 बेहतर है अब नील गगन में 
                                                  इसके संग संग उड़ते रहो !
                                         एक दूजे के संबल हो 
                                        ये बात नहीं भूल जाने  की 
                                         छोड़ दो आदत पुरानी 
                                        पतंगों से पेंच लड़ाने की !!  
                                                              
                                                    

22 टिप्‍पणियां:

  1. एक दूजे के संबल हो
    ये बात नहीं भूल जाने की
    छोड़ दो आदत पुरानी
    पतंगों से पेंच लड़ाने की !!
    --
    बहुत बढ़िया!
    मगर आदत छूटती ही कहाँ हैं!

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  2. वाह बेहद उम्दा प्रस्तुति।

    आपकी रचना यहां भ्रमण पर है आप भी घूमते हुए आइये स्‍वागत है
    http://tetalaa.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  3. एक दूजे के संबल हो
    ये बात नहीं भूल जाने की
    छोड़ दो आदत पुरानी
    पतंगों से पेंच लड़ाने की !!
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति,

    जवाब देंहटाएं
  4. मिलकर स्नेह के साथ रहना चाहिए और आपसी घात-प्रतिघात से कोई फ़ायदा नहीं होने वाला इस सोच के साथ लिखी इस कविता के माध्यम से आपने एक अच्छा संदेश देने की कोशिश की है।

    जवाब देंहटाएं
  5. मर्मस्पर्शी रचना बधाई स्वीकारिए।

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सार्थक और सुन्दर प्रस्तुति..

    जवाब देंहटाएं
  7. दोस्तों नमस्कार
    आप भी सादर आमंत्रित हैं
    एक्यूप्रेशर चिकित्सा पद्धति का परिचय
    ये मेरी पहली पोस्ट है
    उम्मीद है पसंद आयेंगी

    जवाब देंहटाएं
  8. एक दूजे के संबल हो
    ये बात नहीं भूल जाने की
    छोड़ दो आदत पुरानी
    पतंगों से पेंच लड़ाने की !! ...

    राजेश जी , बहुत ही सार्थक शिक्षा दी गयी है इस रचना में। बहुत पसंद आई।

    .

    जवाब देंहटाएं
  9. छोड़ दो आदत पुरानी
    पतंगों से पेंच लड़ाने की
    काट के गर्दन किसी की
    कहकहे लगाने की !
    इन चार पंक्तियों में ही आपने बहुत कुछ कह दिया !
    पूरी कविता अच्छे भाव का सृजन करती है !
    आभार !

    जवाब देंहटाएं
  10. एक दूजे के संबल हो
    ये बात नहीं भूल जाने की
    छोड़ दो आदत पुरानी
    पतंगों से पेंच लड़ाने की !!bahut sunder bhav liye saarthak rachanaa.badhaai aapko.


    please visit my blog and leave a comment.thanks

    जवाब देंहटाएं
  11. छोड़ दो आदत पुरानी
    पतंगों से पेंच लड़ाने की
    काट के गर्दन किसी की
    कहकहे लगाने की !

    मर्मस्पर्शी रचना बधाई

    जवाब देंहटाएं
  12. छोड़ दो आदत पुरानी
    पतंगों से पेंच लड़ाने की
    काट के गर्दन किसी की
    कहकहे लगाने की !
    .....वाह! बात कहने के लिए अच्छी उपमा दी है आपने.
    मेरे ब्लॉग पर आने का आभार.....स्वागत..... स्नेह बनाये रखने का आग्रह

    ----देवेंद्र गौतम

    जवाब देंहटाएं
  13. एक दूजे के संबल हो
    ये बात नहीं भूल जाने की
    छोड़ दो आदत पुरानी
    पतंगों से पेंच लड़ाने की !!

    kitni sunder kavita likhi hai aapne
    badhai
    rachana

    जवाब देंहटाएं
  14. करो न अब ये भूल
    न झूठे दंभ के स्तम्भ पर चढ़ते रहो
    बेहतर है अब नील गगन में
    इसके संग संग उड़ते रहो !

    Umda bhav...Bahut sunder

    जवाब देंहटाएं
  15. बिगडी आदत आसानी से न छोडी जाये,

    जवाब देंहटाएं
  16. छोड़ दो आदत पुरानी
    पतंगों से पेंच लड़ाने की
    काट के गर्दन किसी की
    कहकहे लगाने की !

    bahut sundar shikshaprad rachna...!!

    ***punam***
    bas yun...hi..

    जवाब देंहटाएं
  17. एक दूजे के संबल हो
    ये बात नहीं भूल जाने की
    छोड़ दो आदत पुरानी
    पतंगों से पेंच लड़ाने की !! ....

    बहुत सारगर्भित और प्रेरक प्रस्तुति..

    जवाब देंहटाएं