यह ब्लॉग खोजें

रविवार, 27 मार्च 2011

नभ के सितारे

नटखट चन्द्र ने निशा की माला तोड़ी होगी 
वरना क्यूँ छितराते नभ में इतने सितारे !
उषा ने फिर डाह की लाली भर दी होगी 
वरना क्यूँ बरसाता रवि इतने अंगारे !!
संध्या ने ढांप दिया होगा उसका लावण्य
वरना क्यूँ जाकर परदेश में एसे रात गुजारे !! 
  

2 टिप्‍पणियां: