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रविवार, 20 मार्च 2011

एक शाएरी

बात उल्फत की नजरों से जो समझा न सके 
वो क्या समझा पाएंगे यूँ नश्तेर चुभोकर !
दवात की स्याही से ढाई अक्षर जो लिख न सका 
वो क्या लिख पायेगा समुंदर में डुबोकर !!

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