जब तलक पँहुचे लहर अपने मुहाने तक
साथ क्या दोगे मेरा तुम उस ठिकाने तक
हीर राँझे की कहानी हो बसी जिसमे
ले चलोगे क्या मुझे तुम उस जमाने तक
प्यार का सैलाब जाने कब बहा लाया
हम सदा डरते रहे आँसू बहाने तक
थी बहुत मासूम अपने प्यार की मिटटी
दर्द ही बोते रहे अपने बेगाने तक
क्यों करें परवाह हम अब इस ज़माने की
हर कदम पे जो मिला बस दिल दुखाने तक
छोड़ दी किश्ती भँवर में आज ये साथी
जिंदगी गुजरे फ़कत अब इक फ़साने तक
तू मेरा महबूब अब ये जिंदगी तेरी
खूब गुजरेगी ख़ुदा के पास जाने तक
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