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गुरुवार, 24 जनवरी 2013

(संस्मरण) सफ़ेद चादर से ढका गुलमर्ग (गंडोला फेस 2)


हर मौसम में देखा गुलमर्ग  पर इस मौसम में देखा तो बस देखती ही रह गई कदम दर कदम आपको भी ले चलूंगी वहां उससे पहले कश्मीर यात्रा के कुछ ख़ास पलों और चित्रों  से  आपको रूबरू करना चाहती हूँ ।गुलमर्ग की सैर क्यूंकि हमें दिल्ली आने से दो दिन पहले करनी थी अतः उस जगह पर वापस जाना मुमकिन नहीं था इस लिए वहां पहले हो घूम कर आ गए वो जगह है 'कमान' इंडिया ,पाकिस्तान का बोर्डर जहां ट्रेडिंग होती है दोनों देशों के बीच में दो ख़ास दिन हैं जब इंडिया के ट्रक पाकिस्तान जाते हैं और वहां के इण्डिया आते हैं अर्थात व्यापार होता है यह सामान्य जनता के लिए वर्जित क्षेत्र है पूरा आर्मी से घिरा है हम भाग्य शाली रहे की उस दिन घूम आये क्यूंकि दो दिन बाद ही दोनों देशों के बीच वो व्यापार बंद हो गया रिश्ते खराब हो गए हमारे जवानो का सर काट कर ले गए वो कायर ,क्या मिला?रिश्ते खराब ,व्यापार बंद ,खैर वो दूसरा मुद्दा है फिलहाल आप चित्र देखिये -  
यहाँ पीछे वो ब्रिज है जहां से ट्रक अन्दर आते हैं ।

पाकिस्तान का एक ट्रक देखिये कितना सजाते हैं यहाँ आने से पहले ----
यहाँ कुछ दिन पहले अपना क्रिकेट कप्तान धोनी भी गया था वहां उसका चित्र देखा ---
यहाँ मेरे पति को भेंट स्वरुप हमारा फोटो देते हुए 
वहां की यादें दिल में लेकर वापिस आते हुए एक खूबसूरत व्यू पाइंट आया तो वहां भी कुछ वक़्त गुजारा देखिये वहां का चित्र 
यहाँ हमने गर्म गर्म कश्मीरी काहवा पिया ,पहली बार पिया बहुत अच्छा लगा ,पानी में केसर, बादाम ,चीनी मिलकर बनाते हैं ।तो ये कुछ ख़ास पल थे जो आपसे साझा किये अब आपको गुलमर्ग  लेकर चलती हूँ ।

गुलमर्ग में इतना भारी स्नो था की गाड़ियां भी बिना चेन के जा नहीं सकती थी गाड़ियों के पहियों पर ये चेन का बंदोबस्त पहली बार देख रही थी ,रास्ते से ही बूट ,गोगल इत्यादि किराए पर लिए ,और दोनों गाड़ियों के पहियों पर चेन चढ़ वाई देखिये चित्र ---
 चेन से पहिया बर्फ में नहीं फिसलता बहुत धीरे धीरे चढ़ाई चढ़ी जाती है ।किन्तु हमारी गाडी फिर भी दो बार संतुलन खोई ,अर्थात खुद ही राईट साइड की और घूम गई ,डर  भी लगा किन्तु ड्राइवर काफी अलर्ट था ,यहाँ में एक बात बता दूँ ऐसी बर्फ में सुबह सुबह चलना ठीक होता है यदि देर हो गई या दिन के दो बजे के बाद बर्फ शीशा बनने लगती है फिसलन बढ़ जाती है तो ये समस्या आती है जो हमारे साथ आई ।चलिए रस्ते की एक विडियो दिखा देती हूँ जिसमे चेन की आवाज लगातार सुनाई देगी ----


सुबह सुबह बच्चे टीवी  देखने में मस्त हैं 
शाम हो चली थी रात  को गुलमर्ग में ही रुकने को प्लान था सुबह गंडोला से ऊपर का नजारा देखना था ,गुलमर्ग में गाडी से बाहर निकलते ही पता लग गया की टेम्प्रेचर क्या होगा रात में वहां का टेम्प्रेचर माइनस 17 से 30 तक पंहुच जाता है ,कमरों तक पंहुचते पंहुचते ही भरी बर्फ से गुजरना पड़ा ,रात तो  ठीक से कट गई क्यूंकि रूम में दो तीन हीटर (बिजली से चलने वाला भी कैरो  हीटर भी जो कैरोसिन से जलता है ) थे पानी के पाइप सब जमे हुए थे एक बड़े बर्तन में  पानी पिघलाने के लिए कैरो हीटर पर रख दिए और इस्तमाल करते रहे देखिये चित्र ---
अब देखिये रूम से बाहर का नजारा 
कहीं कही हमारी कमर तक बर्फ थी कहीं उससे भी ज्यादा बाहर से कोटेज आधी ढक  गई थी 
अब हम गंडोला की तरफ चल दिए --देखा वहां दो तरह की ट्राली ऊपर जाती हैं एक तो शीशे की बंद और दूसरी खुली हुई ,जिसे स्नो स्कींग करने वाले यूज करते हैं अपने शू और स्कींग का सामान ले जाते हैं और फेस वन में जहां स्नो सपोर्ट होते हैं तक जाते हैं ,उससे ऊपर फेस 2 है जहां अद्दभुत नज़ारे हैं ऐसा आभास होता है की तुम चाँद पर आ गए हो इस मौसम में तो कम से कम यही आभास होता है अब देखिये चित्र वहां सूरज की गर्मी में भी माइनस  8 डिग्री टेम्प्रेचर था रात  में माइनस 30 से ऊपर जाता है ।
ट्राली में बैठते हुए --------
ऊपर से लिया हुआ चित्र ---
यहाँ हम फेस 2 पर उतर गए ---चित्र में बेटा ,बहु ,बेटी के साथ मैं 



           हब्बी के साथ -------

           बेटी के साथ ----
एक विडियो भी हो जाए ------(बेटे राजीव के साथ )--
इस तरह हमने पर्वतों की चोटियों पर मस्ती की उनकी गोदी में खेले उसकी श्वेत मखमली आँचल में लोट पोट  हुए उन चांदी सी  यादों को दिल में बसाकर वापस गुलमर्ग लौटे तो बच्चे वहां हो रहे स्नो स्पोर्ट्स में भाग लेने के लिए उतावले हो गए कई में मैंने भी हाथ आजमाया सोचा चलती जाती दुनिया है फिर आना हो या ना हो सब अनुभव बटोरने चाहिए देखिये वहां क्या क्या किया ----

यहाँ खूब मजे करके हमें श्रीनगर वापस आना था दूसरी रात गुलमर्ग में रहने का बंदोबस्त था किन्तु सभी ने उस रात रुकने को मना कर दिया और टाइम रहते वापस आ गए किन्तु वहां की यादें आज भी दिल में रोमांच  भर देती हैं आशा करती हूँ मेरा यह संस्मरण आप सब को पसंद आया होगा शुभ विदा ।
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10 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति शुक्रवार के चर्चा मंच पर ।।

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  2. गुलमर्ग की सचित्र,यादगार प्रस्तुति,,,,साझा करने के लिए आभार ,,,राजेश जी,,

    recent post: गुलामी का असर,,,

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  3. वाह...!
    बहुत सुन्दर नज़ारे कैद किये हैं आपने अपने कैमरे में!

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  4. बर्फ़ पहाडों की सुन्दरता व वहाँ के बाशिन्दों की परेशानी बढ़ा देती है।

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  5. बेहद रोमांचक !
    अद्भुत नज़ारे।
    छोटे बच्चों के साथ इतनी सर्दी में घूमना भी साहसिक कार्य रहा।

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  6. गुलमर्ग के सुन्दर चित्रों द्वारा आपने गुलमर्ग की सैर करा दी ;बहुत सुन्दर
    New post कृष्ण तुम मोडर्न बन जाओ !

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  7. बेहद रोमांचक ..बहुत सुन्दर..

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  8. बहुत ही सुन्दर चित्र..हम तो देखकर ही काँप रहे हैं...

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  9. वाह राजेश जी मज़े ले ले कर देखा हमने .....
    गोले भी फेंकने थे न एक दुसरे पर ....:))

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