यह ब्लॉग खोजें

शुक्रवार, 4 मई 2012

आज की नारी


मैं स्वछन्द ,नीर की बदरी हूँ जहां चाहे बरस जाऊँगी
मैं कोई धागा तो नहीं कि सुई के पीछे -पीछे आऊँगी|
मैं मस्त पवन कि खुशबू हूँ जहां चाहे बिखर जाऊँगी 
मैं कोई काजल तो नहीं कि पलकों में सिमट जाऊँगी |
मैं उन्मुक्त सशक्त पतंग हूँ उच्च गगन में लहराऊँगी 
मैं  कोई    मैना तो नहीं कि पिंजरे में कैद हो जाऊँगी
मैं पाषाण हिय कि नारी हूँ अपनी क्षमता  दिखलाऊंगी   
मैं कोई शुष्क  लकड़ी तो नहीं कि आरी से कट जाऊँगी|
मैं आज की शिक्षित नारी हूँ कभी शीश नहीं झुकाउँगी
नारी अबला होती है  मैं यह प्रचलित कथन मिटाऊँगी|

                         *****

20 टिप्‍पणियां:

  1. वाह......................

    बिलकुल सच...............
    अति सुंदर!!!

    जवाब देंहटाएं
  2. सार्थक संदेश देती प्रभावी रचना
    बहुत सुंदर

    जवाब देंहटाएं
  3. मैं उन्मुक्त सशक्त पतंग हूँ उच्च गगन में लहराऊँगी
    वाह! शानदार प्रस्तुति.
    सूरज चाँद की पतंग भी एक एक हाथ में.

    जवाब देंहटाएं
  4. वाह ...उज्जवल विचार ...
    सशक्त रचना ...
    शुभकामनायें ....!!

    जवाब देंहटाएं
  5. मैं आज की शिक्षित नारी हूँ कभी शीश नहीं झुकाउँगी
    नारी अबला होती है मैं यह प्रचलित कथन मिटाऊँगी|

    बहुत सुंदर सार्थक सन्देश देती बेहतरीन रचना //


    MY RECENT POST .....फुहार....: प्रिया तुम चली आना.....

    जवाब देंहटाएं
  6. मैं पाषाण हिय कि नारी हूँ अपनी क्षमता दिखलाऊंगी
    मैं कोई शुष्क लकड़ी तो नहीं कि आरी से कट जाऊँगी|...कटकर भी जो खडी मिले मैं वही आज की नारी हूँ

    जवाब देंहटाएं
  7. उत्तम भाव लिए ... नारी कों अबला समज्खने वालों कों सहजी चेताया है आपने ...

    जवाब देंहटाएं
  8. नारी में बदलाव आने के बाद भी कितनी ही नारियां पीड़ित और शोषित हैं ... सुंदर अभिव्यक्ति

    जवाब देंहटाएं
  9. एक सशक्त नारी की बुलंद आवाज़ .....
    शुभकामनाएँ!

    जवाब देंहटाएं
  10. मैं कोई धागा तो नहीं कि सुई के पीछे -पीछे आऊँगी|

    वाह...क्या बात कही है...बधाई

    नीरज

    जवाब देंहटाएं
  11. सशक्त भावो की सुन्दर प्रस्तुति………वाह

    जवाब देंहटाएं
  12. अपनी क्षमता और सामर्थ्य सिद्ध करने का अवसर सबको मिले।

    जवाब देंहटाएं
  13. aapki bhavna ki tareef karoon, ya sarthak vichar ki... chaliye donon ki karta hoon.

    जवाब देंहटाएं
  14. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    लिंक आपका है यहीं, मगर आपको खोजना पड़ेगा!
    इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

    जवाब देंहटाएं
  15. नारी की सदैव शक्ति के रूप में उपासना की गयी है...आज की नारी को ये भान हो गया है...

    जवाब देंहटाएं
  16. वाह, वाह !!!! सशक्त रचना, आत्म-विश्वास से लबालब.

    जवाब देंहटाएं