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मंगलवार, 1 मई 2012

मजदूर (ग़ज़ल ) १ मई २०१२


मजदूर (ग़ज़ल ) १ मई २०१२
जवानी में उम्र ओढ़ कर आये हो
क्या उम्मीद छोड़  कर आये हो
कितने खारे हैं तेरी आँख के आंसू
क्या समंदर निचौड़ कर आये हो
नजरों से झलकते दर्द के बादल
क्या तूफां को मोड़ कर आये हो  
कितने अंगार छुपे  तेरे शब्दों में
क्या बारूद से जोड़ कर आये हो 
तेरी पिंडलियाँ क्यूँ तनी हुई
क्या मैराथन दौड़ कर आये हो
तेरी उंगलियाँ  क्यूँ छिली हुई
क्या पाषाण फोड़ कर आये हो
भूखे हैं तीन पेट और तेरे साथ
क्या जंजीर तोड़ कर आये हो 

16 टिप्‍पणियां:

  1. मई दिवस पर ये खूबसूरत ग़ज़ल पढ़ कर आनंद आ गया...

    जवानी में उम्र ओढ़ कर आये हो
    क्या उम्मीद छोड़ कर आये हो...

    बहुत खूब...

    जवाब देंहटाएं
  2. मई दिवस पर ये खूबसूरत ग़ज़ल पढ़ कर आनंद आ गया...

    जवानी में उम्र ओढ़ कर आये हो
    क्या उम्मीद छोड़ कर आये हो...

    बहुत खूब...

    जवाब देंहटाएं
  3. aek majdur ki aatmaktha hi to hae aapki post .bahut achha likhati haen aabhr.

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  4. वाह ! सशक्त शब्दोँ के साथ प्रभावी गजल । बहुत उम्दा विषय ।

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  5. बहुत बढ़िया प्रस्तुति,प्रभावित करती मजदूर दिवस पर सुंदर रचना,.बधाई राजेश कुमारी जी

    MY RECENT POST.....काव्यान्जलि.....:ऐसे रात गुजारी हमने.....

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  6. बहुत बढ़िया ...
    बेहद सशक्त रचना राजेश जी...

    सादर.

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  7. सन्नाट अभिव्यक्ति, अन्दर तक हिलाती हुयी।

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  8. मजदूर दिवस पर प्रभावशाली रचना !

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  9. भूखे हैं तीन पेट और तेरे साथ
    क्या जंजीर तोड़ कर आये हो ...bahut sahi kaha ..aek majadur ki vutha ...apne shando mei ....

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  10. कल 04/05/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  11. shramikon ki vyathaa ko kabhi nahin samjha gaya. aapki rachna mein unkaa dard bharpoor prakat ho raha hai.

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  12. एक अलग सी गज़ल श्रमिकों का दरद कहती हुई ।

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  13. सार्थकता लिए सटीक अभिव्‍यक्ति ।

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  14. मजदूरों की व्यथा कहती अच्छी रचना है...बधाई

    नीरज

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  15. कितने खारे हैं तेरी आँख के आंसू
    क्या समंदर निचौड़ कर आये हो ..

    वाह ... बहुत ही खूबसूरत शेर .. मजदूरों के दर्द कों उतारा है इन शेरों में ...

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