अरमान घुट रहे हैं यूँ दर्दे अज़ाब में
ढूंढे कहाँ सुकूने दिल फरेबी सराब में
वो ले गया नींदे भी मेरी देखो लूट कर
कैसे यकीं हो अब वो आएगा ख़्वाब में
शाखों से फूल तोड़ कर राहों में फेंक दो
यूँ छोड़ दी कश्ती मेरी उसने सैलाब में
रोशन नहीं होती अब सितारों की महफिलें
वो चाँद भी जा बैठा है देखो हिज़ाब में
मौसम तो बदलता है मेरा उसके ही आने से
अब ख़ाक भी शौखी न बची रूहे शबाब में
ना नज्म ना मौसिक़ी ना ग़ज़ल अब कोई
जब बरखे ही दफ़न हो गए दिल की किताब में
आगोश ए तसव्वुर में ही आ जाओ एक बार
कुछ फर्क ना होगा तेरे हिज्रे हिसाब में
कैसे लिखूं अब ख़त कोई पूछता है दिल
मैं जानती हूँ जो वो लिखेगा जबाब में
ये होगा मुहब्बत का सबब इब्तदा से जानती
क्यूँ राज ढूँढती वफ़ा इस जहाने खराब में .
कैसे लिखूं अब ख़त कोई पूछता है दिल
जवाब देंहटाएंमैं जानती हूँ जो वो लिखेगा जबाब में ..
वाह!!!
बहुत खूब!!!!
वाह!!!!!बहुत खूब ...बहुत अच्छी अभिव्यक्ति,सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंMY NEW POST ...काव्यान्जलि...सम्बोधन...
बहुत ही बेहतरीन लिखा है
जवाब देंहटाएंहर एक पंक्ति खुबसूरत,गहन जजबात लिए है ...
बहुत ही बढ़िया ..
कैसे लिखूं अब ख़त कोई पूछता है दिल
जवाब देंहटाएंमैं जानती हूँ जो वो लिखेगा जबाब में ..................................
बहुत खूब,सुंदर रचना गहन जजबात लिए है.
वाह , बहुत खूबसूरत गजल ...
जवाब देंहटाएंकैसे लिखूं अब ख़त कोई पूछता है दिल
जवाब देंहटाएंमैं जानती हूँ जो वो लिखेगा जबाब में
बहुत खूब...
waah behatarin gajal ........bahut umda ...kya baat hai .....:):):):)
जवाब देंहटाएंवो ले गया नींदे भी मेरी देखो लूट कर
कैसे यकीं हो अब वो आएगा ख़्वाब में...........best post i have ever seen rajesh kumari ji . lovely ..fan of this writing . :):)
कैसे लिखूं अब ख़त कोई पूछता है दिल
जवाब देंहटाएंमैं जानती हूँ जो वो लिखेगा जबाब में
बहुत सुंदर...
वाह! बहुत खुबसूरत एहसास पिरोये है अपने......
जवाब देंहटाएंकैसे लिखूं अब ख़त कोई पूछता है दिल
जवाब देंहटाएंमैं जानती हूँ जो वो लिखेगा जबाब में
बहुत सुन्दर गज़ल
ना नज्म ना मौसिक़ी ना ग़ज़ल अब कोई
जवाब देंहटाएंजब बरखे ही दफ़न हो गए दिल की किताब में
आगोश ए तसव्वुर में ही आ जाओ एक बार
कुछ फर्क ना होगा तेरे हिज्रे हिसाब में
गजल का हर शेर ....अपने आप में खूब सूरत जज्बात की एक किताब की तरह लगा | क्या तारीफ करूँ राजेश जी ......बिलकुल दिल को छू गयी है ये गजल | यूँ ही ये कलम युगों युगों तक अपनी रोशनी को बरक़रार रखे ....बस यही दुआ मागता हूँ |
कैसे लिखूं अब ख़त कोई पूछता है दिल
जवाब देंहटाएंमैं जानती हूँ जो वो लिखेगा जबाब में ..
Great expression ...waah ..
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मौसम तो बदलता है मेरा उसके ही आने से
जवाब देंहटाएंअब ख़ाक भी शौखी न बची रूहे शबाब में
खूबसूरत गजल ...
ख्वाबों के लुटेरे वापस ख्वाब में नहीं आया करते। बेहतरीन रचना।
जवाब देंहटाएंये होगा मुहब्बत का सबब इब्तदा से जानती
जवाब देंहटाएंक्यूँ राज ढूँढती वफ़ा इस जहाने खराब में .
मजबूरियां कुछ इधर भी हैं कुछ उधर भी...
बहुत सुंदर प्रस्तुति. महाशिवरात्रि के पर्व पर मंगलकामनाएँ.
रोशन नहीं होती अब सितारों की महफिलें
जवाब देंहटाएंवो चाँद भी जा बैठा है देखो हिजाब में
बहुत बढि़या।
अच्छी ग़ज़ल।
बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत गजल...
जवाब देंहटाएंउम्दा गज़ल....
जवाब देंहटाएंसादर बधाईयां...
कैसे लिखूं अब ख़त कोई पूछता है दिल
जवाब देंहटाएंमैं जानती हूँ जो वो लिखेगा जबाब में ..
बहुत खूब ... क्या लाजवाब शेर है ... बेहद उम्दा ...
रोशन नहीं होती अब सितारों की महफिलें
जवाब देंहटाएंवो चाँद भी जा बैठा है देखो हिज़ाब में
गज़ल का हर अश'आर दिल को छू गया, वाह !!!!!!!!!!
ये होगा मुहब्बत का सबब इब्तदा से जानती
जवाब देंहटाएंक्यूँ राज ढूँढती वफ़ा इस जहाने खराब में ... kya baat hai
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