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बुधवार, 27 अप्रैल 2011

सत्य का विलुप्त अस्तित्व

सहस्त्रों झूठ के कर्कश आवरण के नीचे दबा हुआ 
अंतरउर में होने वाले अंतर्द्वंद से जूझता हुआ 
छटपटा रहा हूँ!
गहन अन्धकार से बाहर निकलने को आतुर,
धीरे धीरे रेंगता हुआ द्रगों के पारदर्शी कपाटों के पीछे से 
लाचार बेबसी से झांकता हुआ 
किसी को दिखाई दे जाता हूँ 
फिर अपने बैरी को पस्त हुआ देख अनायास ही मुस्कुरा उठता हूँ ! 
और अपने वजूद को महसूस करने लगता हूँ !
मेरा स्पंदन अबोध बालक में निहित है 
जब मैं उसकी आँखों और मुख से मुखरित होता हूँ !
परन्तु न जाने कब झूठ का नाग अपना फन फैलाकर 
मेरी छाती पर बैठ जाता है और मेरे अस्तित्व पर प्रश्न चिन्ह लग जाता है !
मेरी विजय उस दिन होती है
 जब मानव की साँसों की टूटती हुई डोर का अवलंबन लेकर 
अपने अरि का हनन कर प्रकट होता हूँ !
पर मैं भ्रमित हूँ 
मेरे  अरि का कद मुझसे कैसे इतना बड़ा हो गया 
जो मुझे कुचल कर खुली हवा में सांस लेता है ,
और मैं गहन कारागार में बंद होकर सिसकता हुआ 
यह सोचता हूँ कि मेरा धवल अस्तित्व पूर्ण कालिक कब होगा !!!

रविवार, 24 अप्रैल 2011

shayeri

चाक जिगर सिलना है तो इस तरह से सिल 
कि कभी पुराने जख्मों को धागे का कोई छोर ना मिले !!

अब हमे तन्हाइयों से डर नहीं लगता 
खंडरों में रहकर हम पत्थरों कि जुबां समझने लगे !! 

बुधवार, 20 अप्रैल 2011

नारी एक कठपुतली

  जीवन के रंगमंच पर मैं हुनर दिखाने आई हूँ 
                        जो किरदार दिया प्रभु ने उसे निभाने आई हूँ !
                        कभी बेटी ,कभी भार्या कभी जननी बन इठलाई हूँ 
                        जो किरदार दिया प्रभु ने उसे निभाने आई हूँ !
      कभी करुण कभी रौद्र कभी श्रृंगार रस में नहाई हूँ
      कभी चढ़ती ख़ुशी की धूप कभी सुलगती गम की धूप 
      हर हाल में मुस्काई हूँ !
      जो किरदार दिया प्रभु ने उसे निभाने आई हूँ !  
                         जो मन में है वो कहती हूँ जो दिल में है वो लिखती हूँ 
                         हर्दय के उद्द्गारों पर मेरा न कोई जोर है 
                         मैं तो मात्र कठपुतली हूँ 
                         उसके हाथ में मेरी डोर है !!      

गुरुवार, 14 अप्रैल 2011

फर्क बस इतना है


तुमने इकरार किया पलकें झुकाकर 
हमने इजहार किया नजरें मिलाकार!
तुम ज़माने से कुछ कह नहीं सकते 
हम मगर चुप रह नहीं सकते !
तुम दर्द को  घूँट घूँट पी जाते हो 
हम एक पल सह नहीं सकते !
तुम ख़्वाबों में जी लेते हो 
हम तुम बिन जी नहीं सकते !
फर्क बस इतना है !!

बुधवार, 13 अप्रैल 2011

मंगलवार, 12 अप्रैल 2011

मुझको दुनिया में आने दो


मैं तेरी धरा का बीज हूँ माँ
मुझको पौधा बन जाने दो
नहीं खोट कोई मुझमे ऐसा
मुझको दुनिया में आने दो
.
मैं तेरे मातृत्व का सन्मान
नहीं कोई शगल का परिणाम
मेरा अस्तित्व तेरा दर्प है
मुझमे निहित सारा संसार .

गहन तरु की छाया में
लघु अंकुर को पनपने दो
नहीं खोट कोई मुझमे ऐसा
मुझको दुनिया में आने दो .

जंगल उपवन खलियानों में
हर नस्ल के पुहुप महकते हैं
स्वछंद परिंदों के नीड़ो में
दोनों ही लिंग चहकते हैं .
प्रकर्ति के इस समन्वय का
उच्छेदन मत हो जाने दो
नहीं खोट कोई मुझमे एसा
मुझको दुनिया में आने दो .

समाज की घ्रणित चालों से माँ
तुझको ही लड़ना होगा
नारी अस्तित्व के कंटक का
मूलोच्छेदन करना होगा .
तेरे ढूध पर मेरा भी हक है
दुनिया को ये समझाने दो
नहीं खोट कोई मुझमे ऐसा
मुझको दुनिया में आने दो ..


मुझको दुनिया में आने दो

रविवार, 10 अप्रैल 2011

शाएरी


न जाने कोन से दर्द का बादल है उनकी आँखों में
कि हमे अब अपना अक्स दिखाई नहीं देता !!

कितनी दूरियां बढ़ गई इस तन्हाई में 
अब ढूँढ़ते हैं उन्हें हम अपनी ही परछाई में !!

शुक्रवार, 8 अप्रैल 2011

भ्रष्टाचार विरोधी ज्वाला

कहते हैं जो बात न तीर में तलवार में ,वो है कलम की धार में !इसी कलम को लेकर आज मैं भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन में शामिल होती हूँ ! और नमन करती हूँ उस महान मानव को अन्ना हजारे जी को जिन्होंने अपने प्रयास से आम जनता को भ्रष्टाचार के खिलाफ जाग्रत किया !मेरी यह कविता हर उस मानव को समर्पित जो इस लड़ाई में खड़े हैं !!      
 जलाओ मिल कर दीप आंधी में 
ये ज्योतिर्मय ज्वाला घर घर में दहकनी चाहिए !
पारदर्शी हो चुकी है भ्रष्टाचार की गागर 
अब तो चटकनी  चाहिए !
हो जाओ एकमत लोक मत में 
ये हवा यूँ ही पनपनी चाहिए !
उग रहे जहरीले बीज वतन में 
ये फसल अब तो कुचलनी चाहिए !
फैल रही गिद्हो की पांखे बगल में 
अब तो सिमट्नी चाहिए !!
स्पंदन हीन माटी के बुतों में 
अब तो कोई नाडी फरकनी चाहिए!!    

शनिवार, 2 अप्रैल 2011

best of luck team india

                                    प्रतिद्वंदी को भांप लो 
                        अपने बल को आँक लो 
                        निवाला है सामने 
                         मारो छलांग और फांक लो !!!