यह ब्लॉग खोजें

बुधवार, 23 फ़रवरी 2011

फाल्गुन आया रे

फागुन आया फागुन आया ,दरवाजे पे होली रे 
रंग अबीरों से सजी दुकाने ,उत्सुक बच्चों की टोली रे !
              मौसम ने है बदली करवट ,फूलों की सजी रंगोली रे 
              छितरे टुकड़े मेघों के ,सूरज खेले आँख मिचोली रे !
 केसर फूला सरसों फूली ,फूली उपवन की मौली रे 
कलिओं ने इजहार किया ,भंवरो की पंचम बोली रे !
               घर घर सब तैयारी करते ,दिन गिनते हमजोली रे
                राह रोक कर चंदा मांगे ,पिचकारी की गोली रे !!
फागुन आया फागुन ,दरवाजे पे होली रे !!

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें