you are welcome on this blog.you will read i kavitaayen written by me,or my creation.my thoughts about the bitterness of day to day social crimes,bad treditions .
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बुधवार, 23 फ़रवरी 2011
फाल्गुन आया रे
फागुन आया फागुन आया ,दरवाजे पे होली रे
रंग अबीरों से सजी दुकाने ,उत्सुक बच्चों की टोली रे !
मौसम ने है बदली करवट ,फूलों की सजी रंगोली रे
छितरे टुकड़े मेघों के ,सूरज खेले आँख मिचोली रे !
केसर फूला सरसों फूली ,फूली उपवन की मौली रे
कलिओं ने इजहार किया ,भंवरो की पंचम बोली रे !
घर घर सब तैयारी करते ,दिन गिनते हमजोली रे
राह रोक कर चंदा मांगे ,पिचकारी की गोली रे !!
फागुन आया फागुन ,दरवाजे पे होली रे !!
बुधवार, 16 फ़रवरी 2011
happy valentines day.
मेरे उपवन में जब पाँव पड़े तेरे मखमली
घास ने गर्दन झुका दी
देख पेशानी पे तेरी उभर आई जो बूँद
मयूरी पंखो ने हौले हौले हवा दी!
फूलों की करतल ध्वनी से गूँज उठी फिजायें
पंखुरिओं ने तेरी अधरों की लालिमा बढ़ा दी!
बिछ गए हैं तेरी राहों में टूट के पत्ते
जब तेरे बदन की बासंती हवा ने धड़कन बढ़ा दी !!!
घास ने गर्दन झुका दी
देख पेशानी पे तेरी उभर आई जो बूँद
मयूरी पंखो ने हौले हौले हवा दी!
फूलों की करतल ध्वनी से गूँज उठी फिजायें
पंखुरिओं ने तेरी अधरों की लालिमा बढ़ा दी!
बिछ गए हैं तेरी राहों में टूट के पत्ते
जब तेरे बदन की बासंती हवा ने धड़कन बढ़ा दी !!!
गुरुवार, 3 फ़रवरी 2011
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