ना अपनी सी संस्कृति ना अपनी सी बोली
हम अगर स्वदेश में होते आज मनाते होली ||
आज मनाते होली मिठाई और गुझिया खाते
क्या जवान क्या बूढ़े सब रंग अबीर बरसाते ||
सब रंग अबीर बरसाते करते हंसी और ठट्टा
होली के बहाने करते इत -उत नैन मटक्का ||
करते नैन मटक्का गाँव और शहर के छोरे
लेकर के पिचकारी भाभी पीछे - पीछे दौड़े||
भाभी पीछे-पीछे दौड़े सब देख- देख हर्षाएं
पीके भंग मस्तों की टोली खूब हुडदंग मचाये||
खूब हुडदंग मचाये मादक महुआ और मंजरी
लाल पीत और हरित वर्ण में लिपटी सगरी ||
लिपटी सगरी रंगों में नहीं कोई धर्म का अंतर
ऐसा देश है भारत जहाँ पर्वों के जंतर -मंतर ||
पर्वों के जंतर-मंतर, हजारों भाषा और बोली
हो जाते सब एक जब मिलकर खेलें होली ||
(होली की सभी को शुभकामनायें )
(होली की सभी को शुभकामनायें )