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मंगलवार, 18 मार्च 2014

होली के बाद

होली खेल कर थका मांदा
अधखुली पलकों से पलंग पर लेटा था
उसका सर मेरी पेशानी पर झुका था
उसकी सुनहरी लटें चेहरे पर
गुदगुदी पैदा कर रही थी
 उसने अधरों की कोमल पंखुड़ियों
से मेरे गाल को स्पर्श किया
तो उस वक़्त मैं खुद को
दुनिया का सबसे खुशकिस्मत इंसान
समझ रहा था  
अचानक दो गर्म बूंदे मेरे मुख पर पड़ी
उसे आज जुकाम था
 अचानक उसने अपने दो दांत
मेरे गाल पर गड़ा दिए
मैं चीखा तो वो हँसने लगी
मैंने लपक कर उसे बाँहों में
भर लिया तो पूरा गीला हो गया
फिर मैं  जोर से बोला

अजी सुनती हो इसका डाइपर बदल दो 

शुक्रवार, 14 मार्च 2014

होली की शुभकामनायें

होली में मत भूलिये ,आँखें हैं अनमोल|
इक दूजे पर डालिये ,पुष्प रंग के घोल||
पुष्प रंग के घोल ,मलें खुश हों हमजोली|
             रहे जोश में होश ,वही है सच्ची होली||


देखो आये साथियों,होली के हुडदंग|
दरवाजे पर बज रहे,ढ़ोला फाग  मृदंग||  
ढ़ोला फाग  मृदंग, नशेडी नचते आये| 
झूमे पीकर भंग ,संग गर्दभ भी लाये||
              फेंको फेंको रंग , भरी कुण्डलिया  फेंको|                          पकड़ो ब्लोगर आज ,छोड़ मत देना देखो||