हे माँ श्वेता शारदे , विद्या का उपहार दे|
श्रद्धानत हूँ प्यार दे , मति नभ को विस्तार दे||
तू विद्या की खान है ,जीवन का अभिमान है|
भाषा
का सम्मान है ,ज्योतिर्मय वरदान है||
नव शब्दों को रूप दे ,सदा ज्ञान की धूप दे|
हे माँ श्वेता शारदे ,विद्या का उपहार दे||
कमलं पुष्प विराजती ,धवलं वस्त्रं शोभती|
वीणा कर में साजती ,धुन आलौकिक बाजती||
विद्या कलष अनूप दे,आखर-आखर कूप दे
हे माँ श्वेता शारदे ,विद्या का उपहार दे||
निष्ठा तू विश्वास तू ,हम भक्तों की आस तू|
सद्चित्त का आभास तू ,करती तम का ह्रास तू||
तम सागर से तार दे ,प्रज्ञा का
आधार दे|
हे माँ श्वेता शारदे ,विद्या का उपहार दे||
वाणी में तू रस भरे ,गीतों को समरस करे|
जीवन को रोशन करे,तुझसे ही माँ तम डरे||
रस छंदों का हार दे ,कविता ग़ज़ल हजार दे|
हे माँ श्वेता शारदे ,विद्या का उपहार दे||
जिस को तेरा ध्यान है ,मन में तेरा मान है|
तेरे तप का भान है ,मानव वो विद्वान है||
जीवन में मत हार दे ,भावों में उपकार दे|
हे माँ श्वेता शारदे ,विद्या का उपहार दे||
धवल हंस सद् वाहिनी, निर्मल सद्मति
दायिनी|
जड़ मति विपदा हारिणी ,भव सागर तर तारिणी||
सब कष्टों से तार दे,शिक्षा का भण्डार दे|
हे माँ श्वेता शारदे ,विद्या का उपहार दे||
हे माँ श्वेता शारदे, श्रद्धानत हूँ प्यार दे||
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