तोमर छंद (प्रत्येक चरण में १२ मात्राएँ तुकान्त चरणान्त गुरु लघु से अंत )
चोरी का बुना जाल ,फंस गए नन्द लाल
देख दधि मटकी हाल , हुई मैया बेहाल
पड़ गया उल्टा दांव, पकड़ा जब दबे पाँव,
ढूंढें नहि मिली ठांव, जा छुपा तरु की छाँव
कर से पकड़ के कान ,मांगे क्षमा का दान
बनकर कहे अनजान,रखा मित्रता का मान
देखे दृग लाल लाल,क्रोध का थमा उबाल
उर से लगाया लाल,हुई यशोदा निहाल
शांत हुआ जब धमाल,बहि निकले ग्वाल बाल
हँस कर कहे गोपाल ,जान बची बाल बाल
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सभी को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाइयां
चोरी का बुना जाल ,फंस गए नन्द लाल
देख दधि मटकी हाल , हुई मैया बेहाल
पड़ गया उल्टा दांव, पकड़ा जब दबे पाँव,
ढूंढें नहि मिली ठांव, जा छुपा तरु की छाँव
कर से पकड़ के कान ,मांगे क्षमा का दान
बनकर कहे अनजान,रखा मित्रता का मान
देखे दृग लाल लाल,क्रोध का थमा उबाल
उर से लगाया लाल,हुई यशोदा निहाल
शांत हुआ जब धमाल,बहि निकले ग्वाल बाल
हँस कर कहे गोपाल ,जान बची बाल बाल
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सभी को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाइयां