खुरदुरी हथेलियाँ
कटी फटी उंगलियाँ
पच्चीस की उम्र में
पचास के जैसी प्रौढ़ता की
चेहरे पर लकीरें
दस बीस इंटों से भरा
तसला सर पर ढोती
बीच- बीच में दूर एक झाड़ी पर
बंधे पुराने चिथड़ों से बने
झूले पर नजर डालती ,
ना जाने उसका नन्हा
कब भूख से बिलबिलाने लगे
सोचकर अपने भीगे ब्लाउज को
अपनी फटी धोती के पल्लू से छुपाती
चढ़ी जा रही है
हर सीढ़ी को अपनी किस्मत
की कहानियाँ सुनाती
दूर कहीं से आवाज आ रही है
मजदूर एकता जिंदाबाद
मजदूर दिवस की बधाई हो !!!
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