एक दिन एक मेल मेसेज पर नजर पड़ी तो आँखों में नई चमक उभर आई |मेल में एक आमंत्रण था एक खुशखबरी के साथ ---परिकल्पना और तस्लीम सम्मलेन की ओर से रविन्द्र प्रभात जी का जिसमे उन्होंने लिखा था की आप वर्ष ११ की सर्वश्रेष्ठ लेखिका ब्लोगर (यात्रा वृतांत ) चुनी गई हैं २७ अगस्त को लखनऊ में आपको यह सम्मान दिया जाएगा आपको आना है |ऐसी खुशखबरी सुनकर कौन लेखक ख़ुशी से नहीं झूम उठेगा |
पहलीबार लखनऊ जाना होगा और अपने ब्लोगर मित्रों से रूबरू मिलने का अवसर मिलेगा सोचकर ही उत्साहित थी अतः जिज्ञासा वश फ़ौरन रविन्द्र प्रभात जी को फोन लगाया और पूछा वहां कौन कौन आ रहा है उन्होंने कुछ लोगों के नाम बताये और एक बार फिर आमंत्रित किया उसके बाद ही मैंने प्रोग्राम बना लिया |
२६ की रात को ट्रेन से मैं अपने पतिदेव के साथ (जिनको मुश्किल से एक दिन की छुट्टी लेकर साथ चलने के लिए मनाया था )लखनऊ पंहुची ट्रेन सही वक़्त पर पंहुच गई |प्रोग्राम ११ बजे शुरू होने वाला था और मेरा नाम पहले सत्र में ही विशिष्ट अतिथि में था ,दूसरे उदघाटन कोयला मंत्री श्री जायसवाल जी के हाथों होना था उनसे मिलने की कुछ ज्यादा ही ख़ास इच्छा थी!!!अतः वक़्त पर पंहुचने की पूरी इच्छा थी |स्टेशन पंहुच कर क्यूंकि तैयार होना था अतः अपनी चचेरी बहन जिसका घर आधा घंटे की दूरी पर था उसके यहाँ चले गए |वहां से प्रोग्राम स्थल केसरबाग कुल ६ किलोमीटर था आधा घंटा ही लगना था अतः पौन घंटा पहले निकल गए किन्तु रास्ते की भीड़ को देखकर सर चकरा गया गाडी एक एक इंच खिसक रही थी जाने की जल्दी थी पर ट्राफिक इतना था कि रास्ता ही नहीं मिल रहा था जब ११ बजने में १० मिनट रह गए तो रविन्द्र प्रभात जी को इन्फार्म किया की ट्राफिक में फंस गई हूँ देर हो जायेगी तब रविन्द्र जी ने कहा आप ध्यान से आइये आपका नाम दूसरे सत्र में रख देंगे। देरी का खामियाजा तो भुगतना ही था पहले सत्र में ही मीडिया अपनी कवरेज करके चला गया कोयला मंत्री जी भी नहीं आये क्यूंकि उस दिन उनकी उपस्थिति की आवश्यकता लखनऊ की अपेक्षा पार्लियामेंट में अधिक थी किन्तु उनका मंगल कामना सन्देश आ गया था।हाल में पंहुच कर सबसे पहले स्टेज पर नजर गई तो शिखा वार्ष्णेय जी को तुरंत पहचान लिया और गिरीश मुकुल जी को भी पहचान लिया हरीश अरोड़ा जी माइक संभाले हुए थे चारो और से फोटोग्राफी की फ्लैश लाईट चमक रही थी हाल में शान्ति और आराम से सभी बैठे हुए थे।दीप प्रज्वलित किया गया शिखा जी जार्जट के सफ़ेद फ्रोक चूड़ीदार में ग़ज़ब ढा रही थी।
देखिये एक तस्वीर ------
यहाँ हिंदी ब्लागिंग पत्रिका का लोकार्पण करते हुए ।
हाल में चारो और नजर दौड़ाई तो बहुत से चेहरे जाने पहचाने लगे
सबसे पहले आगे की पंक्ति में बैठे रूप चन्द्र शास्त्री जी को देखा बहुत ख़ुशी हुई देखकर फिर अपने बगल में देखा तो रंजू भाटिया जी ,सुनीता सानू जी ,वीणा जी को बैठे पाया उनसे मिलकर बहुत ख़ुशी हुई । देखिये इस तस्वीर में आप किस किस को पहचानते हैं -
-----उधर स्टेज पर सबकी बारी-बारी से स्पीच चल रही थी सब ने एक से बढ़कर एक वक्तव्य प्रस्तुत किया ब्लोगिंग की अच्छाई बुराई पर सभी ने अपनी अपनी बातें रखी।
पूर्णिमा वर्मन जी भी लॉन्ग स्कर्ट में बहुत सौम्य ,प्यारी लग रही थी उन्होंने भी अपने विचार व्यक्त किये। इतने में संतोष त्रिवेदी जी मेरे पास आये और मेरा परिचय पूछा शायद वो भी मेरी तरह पहचानने की कोशिश कर रहे थे परिचय पाकर हम दोनों को ही
बहुत अच्छा लगा।थोड़ी देर बाद अचानक संजय भास्कर जी मुस्कुराते हुए आये मैंने देखते ही पहचान लिया आदत जो मुस्कुराने की है बहुत अच्छा लगा मिलकर।थोड़ी देर बाद ही शास्त्री जी से मिलना हुआ उन्होंने रविकर भाई से मिलवाया सच में कितने सुखद क्षण थे सभी की मनोस्थिति शायद मेरे जैसे ही थी आभासी दुनिया से निकलकर रूबरू मिलना एक अलग ही एहसास था ।उसके बाद यशवंत माथुर जी से मिलना हुआ ,अरुणकुमार निगम जी को पहचानने की कोशिश कर रही थी उन्होंने कहा पहचानो कौन हूँ जाने पहचाने लग रहे थे किन्तु बता नहीं पाई अतः अरुण जी ने ही अपना परिचय दिया उनसे मिलकर कितनी ख़ुशी हुई बता नहीं सकती फिर कुंवर कुसुमेश जी को मैं खुद ही पहचान गई उनसे बाते हुई और हार्दिक ख़ुशी मिली जब उन्ही के हाथों से मुझे विशिष्ठ अतिथि का सम्मान मिला।उसी बीच अविनाश वाचस्पति जी जो फेस बुक के भी फ्रेंड हैं उनसे मिली इस्मत जैदी जी जो गोवा से आई थी उनसे मिली ,पाबला जी को भी देखा ,और हाँ मुकेश कुमार सिन्हा जी जो फेस बुक के भी फ्रेंड हैं उनको मैंने देखते ही पहचान लिया उनसे भी मुलाकात की।पहले सत्र की समाप्ति की घोषणा के बाद भोजन की व्यवस्था थी कुछ लोगों से वहां भी मिलने का मौका मिला ,अपने पति का शास्त्री जी को परिचय करवाया उनको भी रूप चन्द्र शास्त्री जी से मिलकर बहुत प्रसन्नता हुई ,और हम सब ने एक साथ भोजन किया।चूंकि उसके बाद दूसरा सत्र प्रारंभ होना था अतः भोजन के बाद वापस हाल में आकर बैठ गए ।
दूसरा सत्र प्रारम्भ हुआ मुझे भी स्टेज पर विशिष्ट अतिथि की पंक्ति में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया।
मेरे सम्मान के लिए कुंवर कुसुमेश जी को आमंत्रित किया गया और मुझे उनके हाथों से
मोमेंटो और फ्लावर बुके दिलवाया गया जो एक महत्वपूर्ण सुखद क्षण था मेरे लिए
देखिये वो तस्वीरें ----
नीचे तस्वीर में मेरे बाद इलाहबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएँ कृष्ण कुमार यादव, 'अनुभूति-अभिव्यक्ति' वेब पत्रिका की संपादक पूर्णिमा वर्मन (संयुक्त अरब अमीरात), उत्तर प्रदेश हिंदी संसथान के निदेशक सुधाकर अदीब और 'रचनाकार' के संपादक रवि रतलामी)
फिर इस सत्र में भी कुछ लोगों का वक्तव्य था मेरा नाम सबसे पहले अनाउंस कर दिया गया जब की वक्ताओं में तो मेरा नाम था ही नहीं कुछ तैयारी भी नहीं थी विस्मित भी थी फिर भी कुछ तो बोलना ही था डूबने से बचने के लिए हाथ पैर तो मारने ही थे अतः उस वक़्त जो दिमाग में आया संक्षेप में बोल दिया--बाद में करतल ध्वनी सुनकर लगा शायद कुछ तो ठीक ही बोला होगा।इस तरह सबके भाषण हुए और दूसरा सत्र समाप्त हुआ ---उससे पहले मेरे संक्षिप्त वक्तव्य की एक झलकी देखिये--------
----- फिर तीसरा सत्र आरम्भ हुआ बीच में ही अनाउंस किया गया की चूंकि बहुत से लोगों की वापसी की फ्लाईट का टाइम कुछ की ट्रेन का टाइम होने जा रहा था वक़्त काफी हो गया था इस लिए ब्लोगर्स को सम्मान देने की रस्म बीच में ही की जायेगी मेरी भी वापसी की ट्रेन थी अतः लौटने की जल्दी थी| कुछ देर में मुझे भी स्टेज पर बुलाया गया और सबसे बड़ी ख़ुशी की बात ये थी की वह सम्मान लखनऊ की प्रसिद्द वरिष्ट साहित्यकार मुद्राराक्षस जी के हाथों से दिया गया यह बड़े सौभाग्य की बात थी |
देखिये उस वक़्त की फोटो------
इसके बाद एक एक बार सभी से मिलकर विदा ली रविन्द्रप्रभात जी और जाकिरअली रजनीश जी को अपनी और रुकने की असमर्थता प्रकट की और आभार प्रकट करते हुए उनसे विदा ली वहां सबसे अधिक कमी मुझे रश्मि प्रभा जी की खली क्यूंकि मुझे पता लगा था की वो वहां आ रही हैं किन्तु किसी कारण वश नहीं पंहुच पाई अतः उनसे मिलने की तमन्ना दिल में ही रह गई |मैं अपने इस आलेख के माध्यम से भी परिकल्पना और तस्लीम ग्रुप का हार्दिक आभार प्रकट करना चाहूंगी साहित्य जगत में ब्लोगिंग को उच्च आयाम तक पंहुचाने में उनका यह प्रयास प्रशंसनीय है उनके इस प्रयास से न जाने कितने नवीन लेखक /ब्लोगर अपनी पहचान बना पायेंगे और लाभान्वित होंगे तहे दिल से मैं उनके इस कदम की सराहना करती हूँ और उत्कृष्ट सफलता की मंगल कामना करती हूँ ।इस तरह जीवन की इस मत्वपूर्ण यादगार को दिल में संजोकर वापिस आई और सोचा आप सभी से इन पलों को सांझा करुँगी आफ्टर आल अपनों से ही तो ख़ुशी बांटी जाती है |
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