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बुधवार, 31 अगस्त 2011

लेह(लद्दाख ) से चुमाथांग (हॉट स्प्रिंग)१४००० फीट की झलकियाँ


आज हमे द्रास   से लेह पहुचना था अतः जल्दी चल पड़े !धीरे धीरे उंचाई बढ़ने लगी पहाड़िया ऊँची ऊँची आने लगी!खूबसूरत द्रश्य दिल को लुभा रहे थे !चुमाथांग के अद्दभुत हॉट स्प्रिंग को देखने की जिज्ञासा बढ़ रही थी !देखये रास्ते के कुछ द्रश्य!
रास्ते में झरने का पानी पिया जो बहुत शुद्द मीठा लगा !धीरेधीरे हम कारगिल की और बढ़ रहे थे!१९९९ कारगिल
वार की यादें जेहन में ताजा हो गई !रास्ते में कुछ युद्ध के समय के टूटे घर सेना के बंकर आज भी मोजूद हैं !परन्तु शहर शांत जीवंत दिखाई दिया !
कारगिल में थोड़ी देर रूककर हम अपनी मंजिल की और चलना था!सफ़र ठीक कट रहा था!दुर्गम रास्ता शुरू हो
चूका था! वन वे था फिर वही हुआ जिसकी चिंता थी रास्ते में एक टेंकर ट्रक ने रास्ता जाम कर दिया!और एक
घंटा खराब हो गया !देखिये वंहा की तस्वीर !एक घंटे बाद फिर चल दिए !रफ़्तार से जा रहे थे,रात होने से पहले 
लेह पहुचना था ! फिर आगे खलसी जैसे ही पहुचे शाम होने वाली थी हमारे आगे आने वाले यू टर्न पर एक ट्रक
जो क्रेन से लोड था,उल्टा हो गया !वन वे था निकलने की कोई गुंजाइश नहीं थी!सेना और वंहा के लोग आपरेशन 
में लगे हुए थे कई घंटे हो सकते थे अतः खलसी में ही वंही होटल में रात गुजारी !हमारा लक अच्छा था जंहा हम
फंसे वंही रोड पर होटल था!गाड़ी बैक करने की जरूरत ही नहीं पड़ी !हजारों गाड़ियाँ अटक गई फॅमिली वाले होटल ढूंड रहे थे !होटल में सामान रखकर हम भी आपरेशन देखने पहुच गए !सिर्फ एक विडियो ही साफ़ आया क्योंकि अँधेरा हो गया था !देखिये विडियो .......
बाद में वह आपरेशन काफी समय बाद सफल हुआ !सबने ताली बजाई भारत माता की जय बोली एक दूसरे को 
बधाई दी !हमने होटल में ही टेंट के मजे भी लिए !खाना भी बहुत अच्छा था!सुबह वंहा से जल्दी चल दिए !
हम श्रीनगर से लेह के सबसे ऊँचे मार्ग पर थे!
दो तीन घंटे में हम लेह पहुच गए!वहां हमे आर्मी के ट्रांजिट केम्प में ब्रेक फास्ट करके चुमाथंग पहुंचना था!
फिर हम लगभग बारह बजे के करीब चुमाथांग के लिए चल दिए!वंहा से१३० किलो मीटर चलना था!उत्सुकता 
और बढ़ रही थी !रास्ता खतरनाक हो चला था!वन वे था खतरनाक जानलेवा रंग बिरंगे पहाड़ थे अद्दभुत हिमालय अद्दभुत विस्मयकारी पहाड़ जिनके बीच से गुजर रहे थे!ड्राइवर की कुशलता पर हम सब की जान थी !
देखिये कुछ तस्वीरें ..... 
लगभग चार पांच घंटे में हम अपनी मंजिल पर पहुँच गए !वन्हां एक दुसरे को बधाई दी क्यूंकि सकुशल पहुँच
गए थे !उस रास्ते में लैंड स्लाइडिंग का सबसे अधिक खतरा रहता है ,बहुत जगह मिली !
चुमाथांग में पहुँच कर हमारी ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं था !इस वक़्त हम १४००० फीट की उंचाई पर थे!थोड़ी ही देर में आक्सीजन की कमी महसूस होने लगी ,जो हमे पहले से ही पता था!धीरे धीरे चलना पानी बार बार पीना लम्बे लम्बे सांस लेना जैसी हिदायतें दी गई थी!हम हॉट स्प्रिंग पॉइंट के बिलकुल पास वाले गेस्ट हॉउस में
रुके !सामन रखकर हॉटस्प्रिंग देखने पहुंचे !अजीब अद्दभुत कुदरत का नजारा था!जमीन के नीचे से उबलता हुआ पानी चल रहा था !पास नदी बह रही थी उसके किनारे बहुत सारे इसे पॉइंट थे जहां से उबलता हुआ पानी 
निकल रहा था!कंही कंही पानी उछाल कर निकल रहा था!वह पानी प्राकर्तिक मेडिसिन का काम करता है!पीने 
से पेट के रोग का निवारण होता है तथा नहाने से त्वचा ठीक रहती है!चुमाथांग का अर्थ ही ओषधि वाला पानी है!
कुछ तस्वीरे एवं दुर्लभ विडियो देखिये.......
देखिये इस पानी में हम अंडे उबाल कर खायेंगे !

यह टेंक आर्मी ने गर्म पानी को एकत्र करके रूम तक पाइप के द्वारा पहुचाने के लिए बनाया है!
अब आप अचंभित करने वाली विडियो देखिये यंहा मेरे पैर पर उबलता पानी के छीटें गिरते  हैं शू पहनने पर
भी जलता है और मैं चिल्ला पड़ी !

एक और विडियो देखिये !

रात को सोने में परेशानी हुई एक दिन से अधिक रुक नहीं सकते थे !अतः सुबह जल्दी उठकर हॉट स्प्रिंग के पानी से नहा कर वापस चल दिए !परन्तु वो नज़ारे हमेशा के लिए दिल में बस गए !

सोमवार, 29 अगस्त 2011

कश्मीर से लेह लद्दाख तक

    १४ अगस्त  तारीख सुबह १०४५ बजे देल्ही एयर पोर्ट से हमने श्री नगर के लिए उड़ान भरी !हम चार  लोग थे मैं मेरी बेटी उसकी दो छोटी छोटी बेटियां !मन में उत्साह की उमंग थी पहली बार कश्मीर जा रही थी!बच्चों को पापा से मिलने उत्सुकता थी!लगभग पोने दो घंटे में हम श्री नगर एयर पोर्ट पहुच गए ! वहां से हम सिक्युरिटी के साथ बारामुला होते हुए  सीधे उरी पहुंचे! शाम हो चली थी वंहा पहुच कर पहला दिन बिताया !  बच्चे पापा से मिलकर सारी थकान भूल चुके थे!देखिये कितने खुश हैं !

अगला दिन पंद्रह अगस्त था स्वतंत्रता दिवस श्री नगर बंद था अतः वंही एक दिन गुजरना था!अगले दिन हमने पंद्रह अगस्त नदी के किनारे मनाया !झेलम नदी के किनारे हम सब बैठे गाने गाये खाया पिया और मस्ती की !!
रात को हम जल्दी ही सो गए अगले दिन हमारा लम्बा सफ़र शुरू होने वाला था !हमने श्रीनगर से पहले लद्दाख में चुमाथांग हॉट स्प्रिंग देखने का प्लान किया !
सुबह हम सब एकत्र हुए ! गाड़ी से ही हमने लेह जाने का प्लान किया पहाड़ियों को नजदीक से देखना था कुदरत के खजाने का आनंद लेना था!हमारे साथ एक कुशल ड्राइवर वसीम खान और एक साथी   इजाज  खान भेजा गया !दोनों लड़के बहुत नेक और मददगार थे !हमारा पहला पड़ाव द्रास था!सुबह जल्दी ही निकल गए २५० किलो मीटर का सफ़र करना था!श्री नगर से होते हुए सबसे पहले सोना मर्ग में कुछ पल रुके अद्दभुत अनोखे नज़ारे आप भी देखिये >>> 
सोना मर्ग से ही खूबसूरत पहाड़ियां शुरू हो गई !जो नज़ारे बचपन से देखने की चाहत थी आँखों के सामने आने लगे !
शाम तक हम द्रास पहुच गए!आर्मी बेस में रहने का प्रबंध था!देखिये एक तस्वीर वन्हाँ से.....
सुबह जल्दी चलकर हमे लेह पहुचना था अतः जल्दी निकल पड़े लेह के लिए देखिये रास्ते के कुछ द्रश्य ...
बस आज के लिए इतना ही !क्या हम प्लान के अनुसार लेह में पहुचे ???कल बताउंगी !

बुधवार, 10 अगस्त 2011

भारत देश के प्यारे बच्चों

भारत देश के प्यारे बच्चों 
कर लो आज प्रतिज्ञा तुम 
उज्जवल कर दो अपने दम से 
देश का कौना कौना तुम!
जाने कितने कष्ट उठाये 
और कितनी जान गंवाई हैं 
खून से रंग दी अपनी भूमि 
तब आजादी पाई है !

गाँधी जी और वीर भगत सिंह 
के स्वप्न सलौने तुम
मुश्किल से आजादी पाई
इसे कभी ना खोना तुम!

वीर बनो रणधीर बनो
अन्वेषक बनो और,निरीक्षक बनो
देश की गरिमा तुम से है अब 
मात्र भूमि के अंगरक्षक बनो!

देश पर अगर कोई संकट आये 
शक्ति का आह्वान करो 
लहराओ हाथों में तिरंगा 
दिल से इसका सम्मान करो!

उच्छेदन कर दो उस कंटक का
जिसने देश में जड़ें जमाई है
जाने कितने बलिदानों से
ये आजादी पाई है!

देश की उन्नति की राहों पर
आगे कदम बढ़ाना तुम
कितने ही बवंडर आयें 
धीरज कभी ना खोना तुम
उज्जवल कर दो अपने दम से
देश का कौना कौना तुम!!
     *****

(मेरे प्यार्रे दोस्तों मैं इस पोस्ट  के बाद कुछ दिन के लिए ब्लॉग दुनिया से अनुपस्थित  रहूंगी बहुत जल्दी एक अच्छे विवरण (जन्नत के नज़ारे  ) के साथ आप लोगों से मिलूंगी तब तक के लिए शुभ विदा स्वतंत्रता दिवस कीआप सब को बहुत बहुत बधाई ) 

सोमवार, 8 अगस्त 2011

दिलों की ये तंग गलियां


चैन से जीने ना देंगी तुम्हारे दिलों की ये तंग 
गलियां !
अपने नेक इरादों में सच्चाई भर दे, 
अपनी उम्मीदों में अच्छाई भर दे ,
तू बन के बिखर जा राह में इत्र की कलियाँ !
वरना चैन से जीने  देंगी तुम्हारे दिलों की ये तंग  



गलियां !
तू व्योम की व्यापकता की चादर ओढ़ ले ,
तू धरा के गाम्भीर्य को अंजलि में भरले, 
तू अपनी बाहों की परिधि में बसा ले दुनिया !
वरना चैन से जीने  देंगी तुम्हारे दिलों की ये तंग   
गलियां !
 अश्कों से बनी इस मेड़ को मिट्टी में मिला दे, 
मरते हैं जहाँ जिस्म वहां फूल खिला दे, 


तू बन जा मसीहा सराहेंगी सदियाँ! 
वरना चैन से जीने  देंगी तुम्हारे दिलों की ये तंग 

गलियां!



शुक्रवार, 5 अगस्त 2011

स्वप्न या पूर्वाभास

कितना भयावह अँधेरा है 
दम घुट रहा है 
आत्मा झुलस रही है 
शुन्य के बीच में ,
कहाँ हूँ मैं ?
काली काली परछाइयाँ 
इर्द गिर्द घूम रही हैं !
तेरे आंसुओं के समुद्र में 
डूबती जा रही हूँ ,
कुछ दूर से सिसकियों की 
दबी आवाजें ह्रदय को विदीर्ण कर रही हैं! 
दर्द के सहस्त्रों द्वारों से, 
गुजरते हुए भूगर्भ में चली जा रही हूँ !
हर द्वार पर खड़ा 
कसक का एक खंजर 
मेरे जिस्म को छलनी
करता जा रहा है 
एक कसक 
अब कौन समझेगा तेरे अंतर्मन की जुबां,
अपनों की बैसाखी तो कब की टूट चुकी 
जो तेरा संबल बने 
ऐसा कौन है यहाँ !
जिसका हाथ तेरी हर करवट पर 
तेरे मस्तक को छुए 
ऐसा कौन है यहाँ !
यहाँ तो डूबती नाव की सवारी हैं सभी 
इसे जो पार लगा दे 
वो मल्लाह वो पतवार कहाँ ?
यही सोच कर बिखर  रही हूँ मैं 
जला दिया है इन्होने मुझे 
पर अभी सिसक रही हूँ मैं  
कुरेद कर देख मेरी राख को तू
अभी जिन्दा हूँ मैं 
अभी जिन्दा हूँ मैं !! 




  

मंगलवार, 2 अगस्त 2011

शमा परवाना

मुद्दते दीदार हो तुम इतना सितम ढाया ना करो
मैं खुद भी सितमगर बन बैठू तुम इतने करीब आया ना करो !

ये इश्क का दरिया गहरा है तुम डूब के इसमें जाया ना करो
मैं खुद को डुबो बैठूं ना कंही तुम इतने करीब आया ना करो !

यूँ प्यार में मिटने मरने को मेरी महफ़िल में आया ना करो
मैं खुद को मिटा डालूं ना कंही तुम इतने करीब आया ना करो !

ना पंख जला कर राख बनो ना मुझको यूँ रुसवा ही करो
मैं खुद को जला बैठूं ना कंही तुम इतने करीब आया ना करो !

मदहोश निगाहों से कह दो  दिल को तुम धड्काया करो
मैं होश गँवा बैठूं ना कंही तुम इतने करीब आया ना करो !!



तू इतने करीब आया मेरे ये मेरी वफ़ा थी 
मेरे पहलू में तेरा दम निकला ये तेरी खता थी ! 

या रब ऐसी सुलगती हुई कोई शाम ना दे
मेरी वफाओं को  ऐसा कोई अंजाम ना दे
खुद को जलाकर रोशन करती हूँ महफिलों को
मेरे चाहने वालों के कत्ल का इल्जाम ना दे
!!!