उफ्फ ये स्वप्न!!
हृदय विदारक
कैसे जन्मा
सुषुप्त मन में ?
रेंगती संवेदनाएं
कंपकपाएँ
जड़ जमाएं
भयभीत मन में
अतीत है या
भावी
दर्पण
उथल पुथल है
मन उलझन में
गर वर्तमान है
बन के
प्रश्न
खड़ा हुआ
नेपथ्य तम में
क्या स्वप्न जो
नयनों
में पले
वो भी जले
आतंकी
अगन में
क्यों
याद नही
रंग सिन्दूरी
बस रक्त रंग ही
घूमता ज़हन में
जो घुला है मेरी
रग
रग में
क्या
वही
जन्मता
सुषुप्त मन में?
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कौन जाने स्वप्नों में छिपे रहस्य....
जवाब देंहटाएंसादर
अनु
बहुत बढ़िया है आदरेया ॥
जवाब देंहटाएंगुत्थी अनसुलझी रहे, उलझे उलझे स्वप्न ।
लगे लूटने चैन तो , कर दो उलझन दफ्न ।
कर दो उलझन दफ्न, नहीं राखो तब मन में ।
करते राखी देह, करे उत्पात बदन में ।
छोड़ नींद की बात, जाग के कर मत नत्थी ।
अनदेखी कर सखी, नहीं मतलब की गुत्थी ॥
सुषुप्त मन में रेंगती संवेदनाएं, बन के प्रश्न खड़ा हुआ नेपथ्य तम में,,,
जवाब देंहटाएंRecent post: गरीबी रेखा की खोज
अति उत्तम अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंlatest postअनुभूति : कुम्भ मेला
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बहुत सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति .सही आज़ादी की इनमे थोड़ी अक्ल भर दे . आप भी जानें हमारे संविधान के अनुसार कैग [विनोद राय] मुख्य निर्वाचन आयुक्त [टी.एन.शेषन] नहीं हो सकते
जवाब देंहटाएंsundartam bhavo se santript prastuti
जवाब देंहटाएंमन मेन न जाने क्या क्या विचार जन्म लेते रहते हैं ... संवेदनशील रचना
जवाब देंहटाएंइसी भाग में राग जन्मते,
जवाब देंहटाएंइसी में घृणा..
न जाने कैसा खेल रचे है ईश्वर
यही सच है .....!
जवाब देंहटाएंस्वप्नों की माया कौन जान सका है ?
जवाब देंहटाएंबहुत आकर्षित करता है स्वप्न..सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति..........!
जवाब देंहटाएंउफ़ ये स्वप्न !! / ह्रदय विदारक / कैसे जन्मा / सुषुप्त मन में ?
जवाब देंहटाएंरेंगती संवेदनाएँ / कपकपाएँ / जड़ जमाएँ / भयभीत मन में
अतीत है या / भावी दर्पण / उथल पुथल है / मन उलझन में
गर वर्तमान है / बन के प्रश्न / खड़ा हुआ / नेपथ्य तम में
क्या स्वप्न जो / नयनों में पले / वो भी जले / आतंकी अगन में
क्यों याद नहीं / रंग सिन्दूरी / बस रक्त रंग ही / घूमता ज़हन में
जो घुला है मेरी / रग रग में / क्या वही / जन्मता / सुषुप्त मन में?
@ ... कई-कई बार पढ़ा ...तरह-तरह से समझा, अच्छा लगा।
आपकी यह बेहतरीन रचना सोमवार 25/02/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.inपर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद
जवाब देंहटाएंसुषुप्त मन की अथाह गहराइयों का पार पाना असम्भव सा लगता है ! मन को आंदोलित करती सशक्त प्रस्तुति !
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