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बुधवार, 13 फ़रवरी 2013

ऋतुराज बसंत


(कुण्डलिया)
पीले पीले वेश में ,आया आज बसंत
परिवर्तन की गोद में ,जा बैठा हेमंत
जा बैठा हेमंत ,खेत में सरसों फूली
महक उठा ऋतुकंत,प्रेयसी झूला झूली
रसिक भ्रमर को भाय, मनोहर वदन सजीले
कह ऋतुराज बसंत ,अमिय रस पीले पीले 
*****************************

23 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ....!!
    शुभकामनायें ...राजेश जी ...

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  2. namaste rajesh kumari ji
    bahut sundar kundaliyan likhi hai aapne is vidha me pahali baar aapko padha , bahut acchi pakad hai aapki , badhai aapko umda srajan ke liye

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  3. नमस्कार, माननीया. बहुत सुन्दर कविता है.

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  4. सराहनीय अभिव्यक्ति,बसंती खुशबु लिए सुंदर प्रस्तुती।,

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    1. मेरे ब्लोग्स संकलक (ब्लॉग कलश) पर आपका स्वागत है,आपका परामर्श चाहिए.
      "ब्लॉग कलश"

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  5. बढ़िया कुण्डलियाँ-
    आभार आदरेया ||

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    उत्तर
    1. एकदम सटीक-
      आदरेया |
      बहुत बहुत बधाई ||

      फूली फूली घूमती, एक माह से शीत |
      फूली सरसों तभी से, फैले जग में प्रीत |
      फैले जग में प्रीत, मधुर रस पीले पीले |
      छाई नई उमंग, जिंदगी जी ले जीले |
      पीले पीले फूल, तितलियाँ रस्ता भूली |
      भौरें मस्त अनंग, तितलियाँ रति सी फूली ||

      हटाएं
  6. वाह.....
    मनभावन वसंत आया...आपकी पोस्ट पर छाया :-)
    सुन्दर!!

    सादर
    अनु

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  7. बसंती रंग में रंगी बहुत सुन्दर कुण्डलियाँ...
    :-)

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  8. सुन्दर प्रस्तुति.बहुत सुन्दर कुण्डलियाँ.
    प्यार पाने को दुनिया में तरसे सभी, प्यार पाकर के हर्षित हुए हैं सभी
    प्यार से मिट गए सारे शिकबे गले ,प्यारी बातों पर हमको ऐतबार है

    प्यार के गीत जब गुनगुनाओगे तुम ,उस पल खार से प्यार पाओगे तुम
    प्यार दौलत से मिलता नहीं है कभी ,प्यार पर हर किसी का अधिकार है

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  9. फूली फूली घूमती, एक माह से शीत |
    फूली सरसों तभी से, फैले जग में प्रीत |
    फैले जग में प्रीत, मधुर रस पीले पीले |
    छाई नई उमंग, जिंदगी जी ले जीले |
    पीले पीले फूल, तितलियाँ रस्ता भूली |
    भौरें मस्त अनंग, तितलियाँ रति सी फूली ||

    वसंत का इस से सुन्दर चित्रण और क्या होगा .

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  10. (कुण्डलियाँ )
    पीले पीले वेश में ,आया आज बसंत
    परिवर्तन की गोद में ,जा बैठा हेमंत
    जा बैठा हेमंत ,खेत में सरसों फूली
    महक उठा ऋतुकंत,प्रेयसी झूला झूली
    रसिक भ्रमर को भाय, मनोहर वदन सजीले
    कह ऋतुराज बसंत ,अमिय रस पीले पीले
    आनंद वर्षं भयो .राग रंग बरसा वसंत का अनंग का .

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  11. बड़े ही सुन्दर भावों के साथ वसंत की अभ्यर्थना की है राजेश जी ! मन बाग़ बाग़ हो गया ! बसंत पंचमी की आपको हार्दिक शुभकामनाएं !

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  12. बहुत सुंदर ! आकर्षक चित्र सहित प्रस्तुति के लिए बधाई !

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  13. प्रेम दिवस ,जीवन का राग रंग मुबारक 365 दिन .शुक्रिया आपकी टिपण्णी का .

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  14. बहुत सुन्दर ..बसंत का स्वागत :-)

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