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मंगलवार, 30 अप्रैल 2013

मजदूर दिवस की बधाई हो !!!


खुरदुरी हथेलियाँ 
कटी  फटी उंगलियाँ 
पच्चीस की उम्र में 
पचास के जैसी प्रौढ़ता की 
चेहरे पर लकीरें 
दस बीस इंटों से भरा 
तसला सर पर ढोती 
बीच- बीच में दूर एक झाड़ी पर 
बंधे पुराने चिथड़ों से बने 
झूले पर नजर डालती ,
ना जाने उसका नन्हा 
कब भूख से बिलबिलाने लगे 
सोचकर अपने भीगे ब्लाउज को 
अपनी फटी धोती के पल्लू से छुपाती 
चढ़ी जा रही है  
हर सीढ़ी को  अपनी किस्मत 
की कहानियाँ सुनाती 
दूर कहीं से आवाज रही है 
मजदूर एकता जिंदाबाद 
मजदूर दिवस की बधाई हो !!!
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सोमवार, 22 अप्रैल 2013

अर्थ दिवस



निज स्वारथ में जो किये ,जल संसाधन व्यर्थ।   
भुगतोगे उसकी सजा ,कहे अनुर्वर अर्थ  
कभी कभी लगता है 
नारी  भी एक धरा है
उसमे  भी कई सागर निहित हैं 
स्नेह सागर ,धैर्य सागर ,प्रेम सागर 
सहनशीलता, सहिष्णुता सागर 
उनमे  भी ज्वार भाटा आता है 
वहीँ किसी कौने में सुनामी भी छुपी होती है 
मत लो परीक्षा उसके धैर्य की 
वर्ना विदीर्ण हो जाएगा उसका ह्रदय 
और सब कुछ खींच लेगा 
तुम्हारी जिन्दगी से 
जैसे राम की जिन्दगी से 
सीता को खींच लिया था इस धरा ने  
प्रेम करना सीखो हिफाजत करो इस धरा की 
अगर जिंदगी खुशहाल चाहते हो तो  
                            अर्थ दिवस की शुभकामनायें
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मंगलवार, 16 अप्रैल 2013

सखी री मोरे अंगना में धूप खिली आज


सखी री मोरे अंगना में धूप  खिली आज 
मन की प्रणय पाती साजन की मिली आज 
हुआ यकायक मुझे अंदेशा 
भेजा उसने कोई संदेशा 
नेह नीर बिना  शुष्क हुई थी 
देह प्रीत बिना  रुष्ट हुई थी 
लिपट पवन  संग  हिय तरु की डारि  हिली आज 
सखी री मोरे अंगना में धूप  खिली आज 
आह्लादित  मन लहका- लहका
प्रीत  उपवन  है   महका- महका  
मिले गले जब भ्रमर  कलिका   
हया दीप संग  जलती   अलिका    
विरहाग्नि से हुई विक्षत चुनरिया सिली आज   
सखी री मोरे अंगना में धूप  खिली आज 
 जाने क्यों ये मन भरमाया 
खुदी  में ढूँढू उसका साया 
इत - उत देखूं लगे वो आया 
झट चौखट  पे दीप  जलाया 
सागर मन मध्य मौजों की खुशियाँ रिली आज 
सखी री मोरे अंगना में धूप  खिली आज 
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