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शुक्रवार, 12 अप्रैल 2013

ये धरोहर प्यार की बेदाम है


गीत के जिससे  बहलती शाम है
माँ उसी संगीत का ही नाम है

माँ बिना तो नज़्म भी पूरी नही
हर ग़ज़ल   की तर्ज़ भी नाकाम है

आज जिस आकाश पर मैं उड़ रही
ये उसी आशीष का परिणाम  है

गोद में उसकी हमेशा सोचती
अब यहाँ आराम ही आराम है

जिंदगी की दौड़ जब मैं जीतती 
आज भी देती मुझे ईनाम है

याद में उसकी भरी संदूकची
ये धरोहर प्यार की बेदाम है

  माँ नही तो 'राज'अब ये सोचती
बिन तिरे मेरा कहाँ अब धाम है

दीप रोशन कर मुझे ख़ुद बुझ गया
रोशनी अब बाँटना निज़ काम है
**************************

13 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर रचना....
    सच्ची माँ से सुन्दर और क्या होगा इस जहाँ में....

    सादर
    अनु

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  2. वाह!!! बहुत बढ़िया | आनंदमय | आभार

    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

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  3. दीप रोशन कर मुझे ख़ुद बुझ गया
    रोशनी अब बाँटना निज़ काम है

    ...बहुत सुन्दर रचना...माँ से बढ़कर और कौन मार्गदर्शक हो सकता है इस संसार में...

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  4. याद में उसकी भरी संदूकची
    ये धरोहर प्यार की बेदाम है,,,

    बहुत उम्दा सुंदर गजल ,आभार
    Recent Post : अमन के लिए.

    जवाब देंहटाएं
  5. मन की गहराइयों से लिखी गई इस गज़ल के लिए बधाई........

    जवाब देंहटाएं
  6. अनमोल मोती*** गीत के जिससे बहलती शाम है
    माँ उसी संगीत का ही नाम है

    माँ बिना तो नज़्म भी पूरी नही
    हर ग़ज़ल की तर्ज़ भी नाकाम है

    आज जिस आकाश पर मैं उड़ रही
    ये उसी आशीष का परिणाम है

    गोद में उसकी हमेशा सोचती
    अब यहाँ आराम ही आराम है

    जिंदगी की दौड़ जब मैं जीतती
    आज भी देती मुझे ईनाम है

    याद में उसकी भरी संदूकची
    ये धरोहर प्यार की बेदाम है

    माँ नही तो 'राज'अब ये सोचती
    बिन तिरे मेरा कहाँ अब धाम है

    दीप रोशन कर मुझे ख़ुद बुझ गया
    रोशनी अब बाँटना निज़ काम है

    जवाब देंहटाएं
  7. नवरात्रों की बहुत बहुत शुभकामनाये
    आपके ब्लाग पर बहुत दिनों के बाद आने के लिए माफ़ी चाहता हूँ
    बहुत खूब बेह्तरीन अभिव्यक्ति!शुभकामनायें
    आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
    मेरी मांग

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  8. बहुत उम्दा पोस्ट ...
    हां तुम हो 'मेरी माँ' ।
    नहीं बदला तुमने कोई चोला
    न ही पहना कोई मुखौटा
    प्यार ही तेरा रूप था
    प्यार ही तेरा रूप है।

    मेरी पहली पोस्ट : : माँ

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  9. 'माँ'एक शब्द में सारी सृष्टि छिपी हुई है!

    जवाब देंहटाएं
  10. जीवन को व्यक्त करती
    यथार्थ की जमीन से जुडी
    भावुक रचना
    उत्कृष्ट प्रस्तुति

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  11. गोद में उसकी हमेशा सोचती
    अब यहाँ आराम ही आराम है

    सुखद....

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