फूलों को तू सूंघ मत ,आज अप्रैल फूल|
हो सकता है फूल में ,हो मिर्ची की धूल||
आज अप्रैल फूल है ,नहीं बोलती झूठ|
पिया जो मायके गया ,मैं जाउंगी रूठ||
तू देख वतन पश्चिमी ,कितने होते धूर्त|
मूर्ख दिवस देकर हमें ,कहते हमको मूर्ख||
नेता को देखो सड़क ,गलत कर रहा पार|
अंधे ने बाहें पकड़ ,बचा लिया सरकार||
हाथी बोला गर्व से ,मैं तगड़ा ऐ ढीठ|
चूजा बोला मैं बड़ा ,बैठा तेरी पीठ||
नब्बे प्रतिशत मूर्ख हम ,दस प्रतिशत बेकार|
फिर मूर्खों के देश में ,क्यों करते व्यापार||
कौवों में प्रतियोगिता ,रखते अपनी बात|
उल्लू बैठा सो रहा ,जगता सारी रात||
बूढ़े तोतों से भरी ,देख पेड़ की डाल
युवा देखें टुकर-टुकर,मन में उठे सवाल
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हा-हा बहुत खूब ! अप्रैल फूल की आड़ में सभी की सही तरीके से खबर ले ली !
जवाब देंहटाएंमूर्ख दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएं...
जवाब देंहटाएंहा हा हा हा ! हास्य में भी गंभीर बातें।
जवाब देंहटाएंनेता को देखो सड़क ,गलत कर रहा पार|
जवाब देंहटाएंअंधे ने बाहें पकड़ ,बचा लिया सरकार||BAHUT KHUB
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बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब..
जवाब देंहटाएं:) Bahut Badhiya
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुतीकरण.....आभार.
जवाब देंहटाएंati uttam prastuti .....................
जवाब देंहटाएंwaah bahit khoob , vyang bhara dhamal aprel phool ke saath
जवाब देंहटाएंबेहतरीन
जवाब देंहटाएंसादर
नेता को देखो सड़क ,गलत कर रहा पार|
जवाब देंहटाएंअंधे ने बाहें पकड़ ,बचा लिया सरकार|..
अप्रैल फूल के साथ सभी हास्य-व्यंग के धारे लाजवाब ...
मज़ा आ गया जी ...