निज स्वारथ में जो किये ,जल संसाधन व्यर्थ।
भुगतोगे उसकी सजा ,कहे अनुर्वर अर्थ ॥
कभी कभी लगता है
नारी भी एक धरा है
उसमे भी कई सागर निहित हैं
स्नेह सागर ,धैर्य सागर ,प्रेम सागर
सहनशीलता, सहिष्णुता सागर
उनमे भी ज्वार भाटा आता है
वहीँ किसी कौने में सुनामी भी छुपी होती है
मत लो परीक्षा उसके धैर्य की
वर्ना विदीर्ण हो जाएगा उसका ह्रदय
और सब कुछ खींच लेगा
तुम्हारी जिन्दगी से
जैसे राम की जिन्दगी से
सीता को खींच लिया था इस धरा ने
प्रेम करना सीखो हिफाजत करो इस धरा की
अगर जिंदगी खुशहाल चाहते हो तो ।
अर्थ दिवस की शुभकामनायें
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सार्थक रचना.....
जवाब देंहटाएंबधाई राजेश जी..
सादर
अनु
एक सर्थक रचना।
जवाब देंहटाएंसारगर्भित रचना ...राजेश जी ..!!
जवाब देंहटाएंस्त्री के गुणों को उकेरती बहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंlatest post सजा कैसा हो ?
latest post तुम अनन्त
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बहुत सुन्दर प्रस्तुति..!
जवाब देंहटाएं--
शस्य श्यामला धरा बनाओ।
भूमि में पौधे उपजाओ!
अपनी प्यारी धरा बचाओ!
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पृथ्वी दिवस की बधाई हो...!
बहुत उम्दा अभिव्यक्ति,सुंदर सार्थक रचना,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST : प्यार में दर्द है,
अर्थ दिवस की शुभकामनायें,बहुत सुन्दर व सारगर्भित प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंपर्यावरण प्रेम से संसिक्त रचना नारी का सम्मान पृथ्वी का ही सम्मान है हमारे नागरिक बोध का आईना बनता है .
जवाब देंहटाएंपर्यावरण प्रेम से संसिक्त रचना नारी का सम्मान पृथ्वी का ही सम्मान है हमारे नागरिक बोध का आईना बनता है .बेहद सार्थक रचना चर्चा मंच में हमें बिठाने का शुक्रिया दिल से .
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति,,सटीक रचना,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST: गर्मी की छुट्टी जब आये,
जवाब देंहटाएंसुंदर अनुभूति अभिव्यक्ति
सुंदर रचना
उत्कृष्ट प्रस्तुति
सुन्दर.विचारणीय प्रस्तुति जिम्मेदारी से न भाग-जाग जनता जाग" .महिला ब्लोगर्स के लिए एक नयी सौगात आज ही जुड़ें WOMAN ABOUT MANजाने संविधान में कैसे है संपत्ति का अधिकार-2
जवाब देंहटाएंधरती माँ को सहेजना हमारी साझी जिम्मेदारी है ...सुंदर कविता
जवाब देंहटाएंright said god bless beta.
हटाएंसार्थकता लिये सशक्त रचना ....
जवाब देंहटाएंआभार
सच कहा है ... नारी भी धारा ही तो है ... आज उसकी भी अग्नि परीक्षा हो रही है .. ..
जवाब देंहटाएंसशक्त रचना
जवाब देंहटाएंधरती को बचाना ही होगा।
जवाब देंहटाएंधरा हरी भरी रहे तो ही मानव खुशहाल रहेगा..सुंदर भाव !
जवाब देंहटाएंकब तक धरती माँ को दर्द देते रहेंगे ....अब अपनी जिम्मेदारी निभाने की बारी है ....सार्थक रचना
जवाब देंहटाएंकब तक धरती माँ को दर्द देते रहेंगे ....अब अपनी जिम्मेदारी निभाने की बारी है ....सार्थक रचना
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