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मंगलवार, 16 अप्रैल 2013

सखी री मोरे अंगना में धूप खिली आज


सखी री मोरे अंगना में धूप  खिली आज 
मन की प्रणय पाती साजन की मिली आज 
हुआ यकायक मुझे अंदेशा 
भेजा उसने कोई संदेशा 
नेह नीर बिना  शुष्क हुई थी 
देह प्रीत बिना  रुष्ट हुई थी 
लिपट पवन  संग  हिय तरु की डारि  हिली आज 
सखी री मोरे अंगना में धूप  खिली आज 
आह्लादित  मन लहका- लहका
प्रीत  उपवन  है   महका- महका  
मिले गले जब भ्रमर  कलिका   
हया दीप संग  जलती   अलिका    
विरहाग्नि से हुई विक्षत चुनरिया सिली आज   
सखी री मोरे अंगना में धूप  खिली आज 
 जाने क्यों ये मन भरमाया 
खुदी  में ढूँढू उसका साया 
इत - उत देखूं लगे वो आया 
झट चौखट  पे दीप  जलाया 
सागर मन मध्य मौजों की खुशियाँ रिली आज 
सखी री मोरे अंगना में धूप  खिली आज 
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13 टिप्‍पणियां:

  1. अहा, मन आह्लादित हो जाता है, आहट उनके आने की।

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  2. विरहाग्नि से हुई विक्षत चुनरिया सिली आज
    सखी री मोरे अंगना में धूप खिली आज,,,
    वाह बहुत खूब !!! राजेश जी बेहतरीन रचना,आभार,

    RECENT POST : क्यूँ चुप हो कुछ बोलो श्वेता.

    जवाब देंहटाएं
  3. अत्यंत सुन्दर रचना |

    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

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  4. बहुत दिनन में प्रीतम पाए ,
    भाग जगे ,घर बैठे आए !
    - कबीर .

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  5. सुन्दर प्रस्तुति
    शुभकामनायें आदरणीया ||

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  6. धूप की गर्माहट का अहसास कराती सुंदर भावभीनी रचना..

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  7. खुबसूरत अभिवयक्ति *****आह्लादित मन लहका- लहका
    प्रीत उपवन है महका- महका
    मिले गले जब भ्रमर औ कलिका
    हया दीप संग जलती अलिका

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