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शुक्रवार, 12 अप्रैल 2013

ये धरोहर प्यार की बेदाम है


गीत के जिससे  बहलती शाम है
माँ उसी संगीत का ही नाम है

माँ बिना तो नज़्म भी पूरी नही
हर ग़ज़ल   की तर्ज़ भी नाकाम है

आज जिस आकाश पर मैं उड़ रही
ये उसी आशीष का परिणाम  है

गोद में उसकी हमेशा सोचती
अब यहाँ आराम ही आराम है

जिंदगी की दौड़ जब मैं जीतती 
आज भी देती मुझे ईनाम है

याद में उसकी भरी संदूकची
ये धरोहर प्यार की बेदाम है

  माँ नही तो 'राज'अब ये सोचती
बिन तिरे मेरा कहाँ अब धाम है

दीप रोशन कर मुझे ख़ुद बुझ गया
रोशनी अब बाँटना निज़ काम है
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मंगलवार, 6 नवंबर 2012

जिंदगी ने उसे छ्ला होगा


 गैस होगी न कोयला होगा 
चूल्हा ग़मजदा मिला होगा 

  पेट रोटी टटोलता हो जब                                           
थाल  में अश्रु झिलमिला होगा
  
भूख की कैंचियों से कटने  पर   
 सिसकियों से उदर सिला होगा 
                                        
चाँद होगा न चांदनी होगी 
ख़्वाब में भी तिमिर मिला होगा

भोर होगी न रौशनी होगी 
जिंदगी से बड़ा  गिला होगा
 
लग रहा क्यूँ हुजूम अब  सोचूँ 
मौत का कोई काफिला  होगा 

बेबसी की बनी कब्र पर ही  
 नफरतों का पुहुप खिला होगा 
           
अब बता "राज"दोष है किस का 
 जिंदगी ने उसे छ्ला  होगा 
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सोमवार, 3 सितंबर 2012

दोस्तों को कभी आजमाया करो


हसरतों को  दिल में दबाया करो 
असलियत पे पर्दा गिराया करो 
फूल तो यूँ शराफत के भी हैं खिले 
तुम सभी को काँटे बताया करो 
क्या पता दुश्मनों में मिले यार भी 
उंगलियाँ यूँ सब पर उठाया करो 
पत्थरों पे चलो और ठोकर मिले  
पाँव को ध्यान से तुम बढाया करो 
दोस्ती पे भरोसा  नहीं ना सही  
यूँ हवा में बातें उड़ाया करो 
पेट  भर जाए उन का दया भाव से 
इस तरह प्यार से तुम खिलाया करो 
जिंदगी दूसरों की विरासत नहीं 
शोहरत मेहनत से कमाया करो 
वक़्त आने पे तुम पूछकर  देखना  
दोस्तों को कभी  आजमाया करो 
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मंगलवार, 7 अगस्त 2012

फौजी आया गाँव में

सुगंध सुहानी आयेंगी  इस मोड़ के बाद 
यादें गाँव की लाएंगी  इस मोड़ के बाद 
जिस नीम पे झूला करता था बचपन मेरा 
वही डालियाँ बुलाएंगी इस मोड़ के बाद 
अब तक बसी हैं ऋतुएँ जो  मेरी साँसों में
देखो अभी मह्कायेंगी इस मोड़ के बाद 
बिछुड़ गई थी दोस्ती जीवन की राहों में 
वो झप्पियाँ बरसाएंगी इस मोड़ के बाद 
नखरों से खाते थे जिन हाथों से निवाले 
वो अंगुलियाँ तरसायेंगी इस मोड़ के बाद 
मचल रही होंगी बड़ी भाभी और बहनिया 
बैग मेरा खुलवायेंगी इस मोड़ के बाद 
समझ  लेता था मैं जिनके मन की भाषाएँ 
वो गइयां पूंछ हिलाएंगी इस मोड़ के बाद 
देख के फौजी वर्दी में  भर आयेंगी आँखें
माँ आँचल में छुपायेंगी  इस मोड़ के बाद 
मिलती हैं जो जाकर मेरे घर के द्वार से 
 पगडंडियाँ अब आयेंगी इस मोड़ के बाद
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गुरुवार, 5 जुलाई 2012

कैसी आग लगाई है


तेरे ही दो बेटो ने माँ कैसी आग लगाईं है 
एक जलाता मंदिर दूजे ने मस्जिद तुडवाई है ||

कैसी आँधी जहर भरी इस मुल्क के ऊपर छाई है 
देखो दौलत पाने को उसने बन्दूक उठाई  है ||

पोंछ  दिया सिन्दूर दुल्हन का देखो जुल्मकारों ने 
डूबी लाल लहू में जो  अब रोती ये शहनाई है  ||

अबतक  नाप सका ना कोई आंसू उनकी आँखों के 
 पूछे कौन समंदर से तुझमे कितनी गहराई है || 
                                                                                                                                                                       
कैसे स्वप्न संजोये कोई अब अपनी खुशहाली के
मेरे भारत की सूरत को नोच रही मंहगाई है || 

बेटों से ही  वंश है चलता कैसी उनकी सोच बनी
बेटी होने की खब्र पर उसने वो भ्रूण  गिराई है || 

 आज देश का जन जन वोट के वक़्त सोच रहा   
एक तरफ है गहरा कूआँ दूजे  बाजू खाई है ||
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मंगलवार, 7 फ़रवरी 2012

इन्तजार





बिखरे  हुए हैं गेसू इस इन्तजार में 
आये कोई झोंका  हवा का 
और संवार दे !
ढलका हुआ है आँचल 
नर्म  जमीं के बदन पर   
कि चांदनी भी 
तारों की लड़ियाँ निसार दे |
वो बैठे हैं गिराकर 
पलकों की झालरें 
चल के आये जवां ख़्वाब कोई 
और पहलू में जिंदगी गुजार दे |
काली घटाओ |
तिल सा काजल उधार दे दो 
जाए कोई मेरे महबूब की 
नजरें उतार दे ||
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