तेरे ही दो बेटो ने माँ कैसी आग लगाईं है
एक जलाता मंदिर दूजे ने मस्जिद तुडवाई है ||
कैसी आँधी जहर भरी इस मुल्क के ऊपर छाई है
देखो दौलत पाने को उसने बन्दूक उठाई है ||
पोंछ दिया सिन्दूर दुल्हन का देखो जुल्मकारों ने
डूबी लाल लहू में जो अब रोती ये शहनाई है ||
अबतक नाप सका ना कोई आंसू उनकी आँखों के
पूछे कौन समंदर से तुझमे कितनी गहराई है ||
कैसे स्वप्न संजोये कोई अब अपनी खुशहाली के
मेरे भारत की सूरत को नोच रही मंहगाई है ||
बेटों से ही वंश है चलता कैसी उनकी सोच बनी
बेटी होने की खब्र पर उसने वो भ्रूण गिराई है ||
आज देश का जन जन वोट के वक़्त सोच रहा
एक तरफ है गहरा कूआँ दूजे बाजू खाई है ||
******
विचारणीय भाव लिए पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंबढ़िया...........
जवाब देंहटाएंगहन अभिव्यक्ति राजेश जी.
सादर
अनु
समसामयिक रचना .... जाति धर्म सब स्वार्थ में निहित हो गया है ...
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंपोंछ दिया सिन्दूर दुल्हन का देखो जुल्मकारों ने
जवाब देंहटाएंडूबी लाल लहू में जो अब रोती ये शहनाई है ||
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति , बधाई आपको !
माँ तो सबकी होती है,विदेशी होया हिन्दुस्तानी
जवाब देंहटाएंलहू सभी का एक रंग है, क्यूँ बन जाता है पानी,
एक देश में शीश चढाये,दूजा लूट रहा है जान
बेटा बनकर ही करते है,भारत माँ का अपमान,
RECENT POST...: दोहे,,,,
पोंछ दिया सिन्दूर दुल्हन का देखो जुल्मकारों ने
जवाब देंहटाएंडूबी लाल लहू में जो अब रोती ये शहनाई है ||...बहुत सुन्दर भाव ....विचारणीय पोस्ट..
हालात चिंताज़नक हैं . फिर भी आशा की एक किरण हमेशा विश्वास दिलाती रहती है .
जवाब देंहटाएंबाँट लिये हैं घर के आँगन..
जवाब देंहटाएंपोंछ दिया सिन्दूर दुल्हन का देखो जुल्मकारों ने
जवाब देंहटाएंडूबी लाल लहू में जो अब रोती ये शहनाई है ||
भाव मय करते शब्दों का संगम ... आभार
अबतक नाप सका ना कोई आंसू उनकी आँखों के
जवाब देंहटाएंपूछे कौन समंदर से तुझमे कितनी गहराई है ||
bahut hi marmik hai
समय की पुकार .गहरे एहसास ....
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ!
गहरे भाव लिए मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी प्रस्तुति। मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेग । धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंकटु सत्य ....देश की दुर्दशा का बयान सटीक शब्दों में
जवाब देंहटाएंसोचना होगा हर किसी को
बहुत ही खूबसूरत एवं मौलिक प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंआज का आगरा
गजब की अभिव्यक्ति है आपकी.
जवाब देंहटाएंयथार्थ के कटु सत्य को उजागर करती.
दिल को झकझोरती हुई.
बदली अपनी दुनिया जिनके खूं में बहता गर्म लहू
जवाब देंहटाएंहम थे क्या,क्या हुए सोच कर अब आती उबकाई है