निर्मल मन मैला बदन , नन्हे नन्हे हाथ
रोटी का कैसे जतन,समझ ना पाए बात (1)
तरसे एक -एक कौर को ,भूखे कई हजार
गोदामों में सड़ रहे, गेहूं के अम्बार (2)
शून्य में देखते नयन , पूछ रहे हैं बात
प्रजा तंत्र के नाम पर,क्यूँ करते हो घात (3)
ह्रदय क्यूँ फटता नहीं, भूखे को बिसराय
हलधर का अपमान कर,अन्न जल में बहाय (4)
शासन की सौगात हो , या किस्मत की हार
निर्धन को तो झेलनी , ये जीवन की मार (5)
रंक का चूल्हा न जले,ना लकड़ी ना तेल
मंत्रियों तक दौड रही,सिलेंडरों की रेल (6)
दिन हैं भ्रष्टाचार के,सत्य रहा है काँप
मंहगाई की धुन पे ,नाच रहे हैं सांप (7)
बिगड़ी सूरत देश की ,किस के जल से धोय
गंगा भी मैली करी , उपाय बचा न कोय (8)
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बहुत बढ़िया वर्तमान हालातों से उपजी उम्दा प्रस्तुति ..
जवाब देंहटाएंदोहों की इस रेल से दिया सुंदर सन्देश
जवाब देंहटाएंइसी तरह से चल रहा अपना भारत देश,,,,,
RECENT POST...: दोहे,,,,
बड़े ही रोचक दोहे..
जवाब देंहटाएंबढ़िया.......
जवाब देंहटाएंरोजमर्रा की समस्याओं पर दोहे...
सादर
अनु
रोज़मर्रा की मुसीबतें....और उन पर दोहे...
जवाब देंहटाएंवाह..
बहुत बढ़िया
सादर
अनु
बहुत बढ़िया दोहे..
जवाब देंहटाएंबहुत मार्मिक प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंशासन की सौगात हो , या किस्मत की हार
जवाब देंहटाएंनिर्धन को तो झेलनी , ये जीवन की मार (5)
रंक का चूल्हा न जले,ना लकड़ी ना तेल
मंत्रियों तक दौड रही,सिलेंडरों की रेल (6)
सहज - सरल शब्दों में सार्थक बात कह दी आपने ... आभार
वाह: गहन बात को बहुत रोचक ठंग से प्रस्तुत किया है..आभार..राजेश जी..
जवाब देंहटाएंआज के हालात का सजीव चित्रण करते सटीक दोहे।
जवाब देंहटाएंkya baat hai, .serious baaton ko itne pyare dhang se aapne parosa... abhar!
जवाब देंहटाएंmain aapko pahle se follow karta hoon Rajesh jee.... aap adarniya ho:)
जवाब देंहटाएंहरेक दोहे में आपने समाज की विषमताओं का जीवन्त चित्रण किया है। लाजवाब!!
जवाब देंहटाएंतरसे एक -एक कौर को ,भूखे कई हजार
जवाब देंहटाएंगोदामों में सड़ रहे, गेहूं के आबार (2)
बहुत सुन्दर अर्थ और व्यंजना में सभी दोहे .कृपया यहाँ अम्बार लिखें (आबार के स्थान पर ,वैसे एक शब्द और होता है आगार जिसका मतलब होता है डिपो ),एक और स्थान पर -शून्य में देखते नयन , पूछ रहे 'है' बात
प्रजा तंत्र के नाम पर,क्यूँ करते हो घात (3)
यहाँ हैं लिखें नयन बहुवचन है .शुक्रिया हमारे ब्लॉग पे आके उत्साह बढाने का .लेखन की आंच को सुलगाए रहतीं हैं ऐसी टिप्पणियाँ .
बहुत सुन्दर अर्थ और व्यंजना में सभी दोहे .कृपया यहाँ अम्बार लिखें (आबार के स्थान पर ,वैसे एक शब्द और होता है आगार जिसका मतलब होता है डिपो ),एक और स्थान पर -शून्य में देखते नयन , पूछ रहे 'है' बात
जवाब देंहटाएंप्रजा तंत्र के नाम पर,क्यूँ करते हो घात (3)
यहाँ हैं लिखें नयन बहुवचन है .शुक्रिया हमारे ब्लॉग पे आके उत्साह बढाने का .लेखन की आंच को सुलगाए रहतीं हैं ऐसी टिप्पणियाँ .
सुन्दर दोहे .
जवाब देंहटाएंएक आध जगह सुधार की ज़रुरत है .