इक जनयत्री एक ही मूल
एक डाल के हम दो फूल
भेज के मुझको पी के घर
भैय्या देख न जाना भूल
भले तेरी बहना रहती परदेश
भूल न पाती अपना देश
जब जब नेट पे देखूं तेरा चेहरा
वही है रक्षा बंधन मेरा
वहीँ से तेरी बलाएँ लूंगी
प्यारी सी राखी भेजूंगी
इ मेल तू खोल के देखना
राखी में मुस्काएगी बहना
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राखी पर बहुत ही प्यारी सी रचना..शुभकामनायें इस सुंदर पर्व पर !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भाव संजोये हैं...हार्दिक शुभकामनायें ..
जवाब देंहटाएंकल 02/08/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
बहुत प्यारी रचना है………॥रक्षाबंधन की शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंवाह ... अनुपम भाव लिए बेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंप्यार भरा है हर लफ्ज़ में......
जवाब देंहटाएंराजेश जी बहुत बहुत शुभकामनाये रक्षाबंधन की...
सादर
अनु
बहुत -बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंकोमल भाव लिए रचना..
बहुत सुन्दर:-)
सुकोमल भाव लिए सुन्दर सी रचना..रजेश जी बहुत बहुत शुभकामनाये रक्षाबंधन की...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और कोमल अहसास...रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंभाई बहन के रिश्ते को बहुत खुबसूरत शब्दों में गढ़ा है अपने....
जवाब देंहटाएंसबको रक्षाबन्धन की बधाई..
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर कविता....Happy Rakshabandhan to you !!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना .
जवाब देंहटाएंरक्षाबंधन की शुभकामनायें .
सुन्दर भाव संयोजन...
जवाब देंहटाएंरक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनायें