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मंगलवार, 7 फ़रवरी 2012

इन्तजार





बिखरे  हुए हैं गेसू इस इन्तजार में 
आये कोई झोंका  हवा का 
और संवार दे !
ढलका हुआ है आँचल 
नर्म  जमीं के बदन पर   
कि चांदनी भी 
तारों की लड़ियाँ निसार दे |
वो बैठे हैं गिराकर 
पलकों की झालरें 
चल के आये जवां ख़्वाब कोई 
और पहलू में जिंदगी गुजार दे |
काली घटाओ |
तिल सा काजल उधार दे दो 
जाए कोई मेरे महबूब की 
नजरें उतार दे ||
 *****







21 टिप्‍पणियां:

  1. इंतज़ार की हसीन ख्वाइशें....
    शुभकामनाएँ!

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  2. चलो थोडा रूमानी हो जाएँ....
    बहुत सुन्दर..

    जवाब देंहटाएं
  3. namaskar rajeshkumari ji .

    bahut hi haseen intjar .........
    .चल के आये जवां ख़्वाब कोई
    और पहलू में जिंदगी गुजार दे |.........kaash yeh khwab sach ho jaye ........har hasin jajbaat phoola sa khil jaye .....bahut hi pyari lagi aapki yeh kavita .......har bar se juda ............pyari si badhai .........:):):):)

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  4. बहूत हि सुंदर
    बेहतरीन प्रस्तुती....

    --

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  5. बहुत खूब लिखा है आपने ...बेहतरीन अभिव्यक्ति

    जवाब देंहटाएं
  6. अनपम भाव संयोजन लिये उत्‍कृष्‍ट अभिव्‍यक्ति ।

    जवाब देंहटाएं
  7. तिल सा काजल उधार दे दो
    जाए कोई मेरे महबूब की
    नजरें उतार दे ||

    उफ़ ……मार डाला राजेश कुमारी जी इस अदा ने मोहब्बत की :)))))

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  8. आपकी पोस्ट चर्चा मंच 9/2/2012 पर प्रस्तुत की गई है
    कृपया पधारें
    http://charchamanch.blogspot.com
    चर्चा मंच-784:चर्चाकार-दिलबाग विर्क

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  9. ऐ काली घटाओ |
    तिल सा काजल उधार दे दो
    जाए कोई मेरे महबूब की
    नजरें उतार दे ||..

    great expression.

    .

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  10. प्रेममयी अनुपम प्रस्तुति....बहुत सुंदर

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  11. मामला गंभीर है. क्या क्या अदाएँ हैं. बहुत सुंदर रचना.

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  12. अनुपम प्रस्तुति....बहुत सुंदर

    जवाब देंहटाएं
  13. ऐ काली घटाओ
    तिल सा काजल उधार दे दो
    जाए कोई मेरे महबूब की
    नजरें उतार दे

    घटाओं से काजल मांगने की अदा अच्छी लगी !
    बहुत सुंदर कविता।

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  14. आपकी पोस्ट आज की ब्लोगर्स मीट वीकली का (३०) मैं शामिल की गई है /आप आइये और अपने विचारों से हमें अवगत करिए /आपका स्नेह और आशीर्वाद इस मंच को हमेशा मिलता रहे यही कामना है /आभार /लिंक है
    http://hbfint.blogspot.in/2012/02/30-sun-spirit.html

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