कैसे लिखी जाती है
कविता मुझे पता नहीं
बस भावनाओं के
कुछ बादल जन्म लेते हैं
दिल की सतह पर
और वाष्पित होकर
मस्तिष्क में पंहुच कर
उमड़ पड़ते हैं
और बूँद बूँद बरसते
हैं शब्द बनकर ,घुल जाते हैं
मेरी कलम की स्याही में
और उतर आते हैं
किसी सपाट पन्ने
पर कविता बनकर
******
aap ne kavita ko behad bhavanatmk aur smbednatmak tarike se pribhasit kr ek naya najria pradan kr dia,bahut accha laga
जवाब देंहटाएंयाने एक रासायनिक और भौतिक प्रक्रिया है कविता का सृजन???
जवाब देंहटाएं:-)
बढ़िया है!!
सादर
अनु
हा ऐसा ही होता है..
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया
मनोभावों को व्यक्त करती
सुन्दर रचना...
:-)
वाह ... बेहतरीन भाव।
जवाब देंहटाएंwaah bahut khoob sach kaha aapne badalo ki jo varsha hoti hai wah shabdo ke roop me bah kar baahar aati hai :)) badhai
हटाएंसुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएंवाह: सुन्दर भाव..
जवाब देंहटाएंसुन्दर शब्दों से आपने सत्यता का वर्णन किया है |
जवाब देंहटाएंयह तो हुई विरह की कविता ...और मिलन की .......
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया भाव मय प्रस्तुति,,,,बेहतरीन
जवाब देंहटाएंRECENT POST,तुम जो मुस्करा दो,
सुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
सच में, जैसे बादल बरसे..
जवाब देंहटाएंlajbab prastuti ke liye sadar abhar Rajesh ji ,,,rachana behad prabhavshali lgi .
जवाब देंहटाएंआपके हृदय के भाव समुन्द्र से निरंतर वाष्पीकरण होता रहे
जवाब देंहटाएंऔर अच्छी बारिस होती रहे,यही दुआ है जी.
काश! ऐसी बाढ़ आये कि सभी उसमें डूब डूब जाएँ.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
thanks a lot Rakesh Kumar ji n every body.
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