बंद करके रख दिए
वो पल वो शब्द
वो वाकये जो आह्लादित
मलय की सुगंध देते थे ,
मन की तिजौरी में,
और वक़्त की बांह पकड़े
उड़ चली कल्पना लोक में
सोचा जब थक जाऊं
मन वितृष्णा से भर जाए
विरक्ति अपने पंजे में
जकड़ने लगे
गमों के बादल
आँखों में बसेरा कर लें
जीवन आख्याति
समापन का रुख करे
तब खोल दूंगी ये तिजौरी
और लम्बा श्वांस
लेकर आत्मसात कर लूँगी
इस सुगंध को
नव्य जीवन की ऊर्जा हेतु !!
बहुत खूब |
जवाब देंहटाएंऐसा दर्शनशास्त्र पढ़, मनुवा भाव विभोर |
भरा खजाना याद का, मत कर नादाँ शोर |
आदरणीया राजेश कुमारी जी बेहद सुन्दर रचना है
जवाब देंहटाएंभावमय करते शब्द ... बहुत ही अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावप्रणव प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन
जवाब देंहटाएंभावप्रद रचना..
:-)
स्मृति की सुगन्ध मन में सदा के लिये बसी रहे..
जवाब देंहटाएंमन को छूने वाली बातें हैं।
जवाब देंहटाएंऊर्जा संचित रहनी चाहिए .... सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबंद करके रख दिए
जवाब देंहटाएंवो पल वो शब्द
वो वाकये जो आल्हादित
मलय की सुगंध देते थे ,
मन की तिजौरी में,
और वक़्त की बांह पकड़े
उड़ चली कल्पना लोक में
सोचा जब थक जाऊं
मन वित्रष्णा (वितृष्णा)भर जाए ........वितृष्णा
विरक्ति अपने पंजे में
जकड़ने लगे
ग़मो(ग़मों ) के बादल ............ग़मों
आँखों में बसेरा कर लें
जीवन आख्याति
समापन का रुख करे
तब खोल दूंगी ये तिजौरी
और लम्बा श्वांस
लेकर आत्मसात कर लूँगी
इस सुगंध को
नव्य जीवन की उर्जा(ऊर्जा ) हेतु !! बहुत बढ़िया रचना है .आभार .
वीरेंद्र कुमार शर्मा जी हार्दिक धन्यवाद आपकी सूक्ष्म दर्शिता को मान गए आगे से गंभीरता के साथ पोस्ट करुँगी
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा ,आपने हमें मान दिया ,बहुत अच्छा लगा ,परिशुद्ध रचना देख कर .चर्चा मंच पर बिठाने के लिए भी आपका आभार .बढ़िया रचना है आपकी .ये चूक वर्तनी की हम से भी होती है .कई मर्तबा पोस्ट करने की उतावली रहती है कंप्यूटर टाइप भी पूरा साथ नहीं देता है शब्दकोश भी .कोई इंगित करे हमारी गलतियां तो अपना सा लगे है .शुक्रिया .
जवाब देंहटाएंram ram bhai
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सोमवार, 1 अक्तूबर 2012
ब्लॉग जगत में अनुनासिक की अनदेखी
ब्लॉग जगत में अनुनासिक की अनदेखी
वाह !
जवाब देंहटाएंकरोड़ की पौटली
तिजोरी मैं ठूँस ली
निकाल भी ली
कम नहीं हुई
दो करोड़ दे गई !
बेहतरीन भाव पूर्ण सुंदर प्रस्तुति,,,
जवाब देंहटाएंRECECNT POST: हम देख न सके,,,
gehre bhaav liye ek achhi rachna
जवाब देंहटाएंshubhkamnayen
वो वाकये जो आल्हादित
जवाब देंहटाएंमलय की सुगंध देते थे ,में आह्लादित कर लें ,आल्हादित को .शुक्रिया .रचना बेहद सशक्त है .
bahut sundar prastuti,"chandn ki khooshbu liye,liye yad ke pankh,bhav prafullit ho gye,mantr ho gye sankh"
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