साहब मेरी बेटी कहाँ है ?हरिया ने हाथ जोड़कर स्थानीय थाने में बैठे दरोगा से गिड़ गिडाते हुए पूछा |अब होश आया तुझे दो दिन हो गये तेरी बेटी को नहर से निकाला था,हाँ आत्महत्या से पहले तेरे पास भी तो आई थी अपनी ससुराल वालो के अत्याचार का दुखड़ा रोने करी थी क्या तूने उसकी मदद ,अब आया बेटी वाला |आत्म हत्या भी जुर्म है केस चलेगा अभी लाकअप में बंद है कल आना वकील के साथ लिखत पढ़त करके छोड़ देंगे|पर साहब इन कोठरियों में तो दिखाई नहीं !!!उसकी बात पूरी होने से पहले ही दरोगा ने पास खड़े सिपाही से कहा इसे बाहर तो छोड़ के आ | फिर दूसरे सिपाही को बुलाकर धीरे से बोला जा पीछे के दरवाजे से लाकर उसे लाकअप में डाल दे |येस सर कह कर फिर ठिठकते हुए धीरे से सिपाही बोला सर अपने घर की चाबी तो दे दीजिये पहले !!!
्जब रक्षक ही बन जाए तो कहाँ जाए...मार्मिक कथा..
जवाब देंहटाएंउफ़
जवाब देंहटाएं.मार्मिक कथा..
जवाब देंहटाएंमार्मिक कहानी..
जवाब देंहटाएंमार्मिक ...
जवाब देंहटाएंकितनी कडुवी सच्चाई कों लिखा है ...
rakshak hi bhakshak bane baithe hain...
जवाब देंहटाएंकडुवा सत्य..
जवाब देंहटाएंमार्मिक कथा....
बहुत अच्छी मार्मिक प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंआज का कडुआ सच .....
जवाब देंहटाएंमार्मिक प्रस्तुति,....
MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: बेटी,,,,,
मार्मिक कथा..
जवाब देंहटाएंकड़वी सच्चाई है हमारे सिस्टम की..............
जवाब देंहटाएंThanx ,ki aapne meri rachna ko charcha manch men sthan diya.
जवाब देंहटाएंकडुआ सच .प्रभावशाली रचना..
जवाब देंहटाएंकडुआ सच ... मार्मिक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सच कहा है आपने ...मन को छूती हुई प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंयहाँ हर स्थान पर ऐसी कहानियां...रोज़ गढ़ी जा रहीं हैं...बहुत ही मार्मिक चित्रण...
जवाब देंहटाएंकटु सत्य ।
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