कुछ खरी-खरी त्रिवेणियाँ
(१)
घर के बीच खिंच रही दीवार
बुजुर्गों के दिलों में पड़ी दरार
कैसा दर्दनाक मंजर है किसे देखूं |
(२)
तेरे इस गूंगे घर से तो
खंडहर ही बेहतर हैं
वहां कम से कम पत्थर तो बाते करते हैं |
(३)
तुम लाये हो इक बवंडर छिपा के अपने सीने में
एक बार तो ये सोचा होता
ताश के पत्तों से बना है मेरा घर|
(४)
बड़ी हसरतों से जमा किये थे शबनम के मोती
स्वर्ण रथ पर आया लुटेरा
सब चुरा के ले गया |
(५)
मेरे अपने ही फूलों ने
झुका दिया इस डाली को
वर्ना मेरी गर्दन ने कभी झुकना नहीं सीखा |
(६)
खुद को जलाकर जग को देते हो उजाला
फिर भी एक नजर तुझे कोई देखना नहीं चाहता
कोई तुझसा बेचारा नहीं देखा |
(७)
ऐ तितली जरा संभल के उड़ना
घात में बैठे है कांटे फूलों की आड़ में
चीर देंगे तेरे कोमल पर
*******
मेरे अपने ही फूलों ने
जवाब देंहटाएंझुका दिया इस डाली को
वर्ना मेरी गर्दन ने कभी झुकना नहीं सीखा |
बहुत खूब ...सभी त्रिवेणी एक से बढ़ कर एक
सभी बहुत ही सारगर्भित और भावपूर्ण हैं...बहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर त्रिवेणियाँ..
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया राजेश जी.
अनु
तेरे इस गूंगे घर से तो
जवाब देंहटाएंखंडहर ही बेहतर हैं
वहां कम से कम पत्थर तो बाते करते हैं |... मान गए आपको और आपकी पारखी नज़र को
सारगर्भित त्रिवेणियाँ!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर क्षणिकायें...
जवाब देंहटाएंसभी क्षणिकाएं आज के बिगड़ते हालात पर सीधा वार करती हैं...बधाई
जवाब देंहटाएंनीरज
बहुत-बहुत ही अच्छी भावपूर्ण रचनाये है......
जवाब देंहटाएंऐ तितली जरा संभल के उड़ना
जवाब देंहटाएंघात में बैठे है कांटे फूलों की आड़ में
चीर देंगे तेरे कोमल पर
Waah ....Ghare Arth Liye Panktiyan
वहां कम से कम पत्थर तो बाते करते हैं......बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंऐ तितली जरा संभल के उड़ना
जवाब देंहटाएंघात में बैठे है कांटे फूलों की आड़ में
चीर देंगे तेरे कोमल पर
वाह .. बहुत खूब
बहुत सुंदर त्रिवेणियां। आखिरी खास पसंद आई।
जवाब देंहटाएंमर्मस्पर्शी त्रिवेणियाँ, शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंbahut khoob !
जवाब देंहटाएंखुद को जलाकर जग को देते हो उजाला
जवाब देंहटाएंफिर भी एक नजर तुझे कोई देखना नहीं चाहता
कोई तुझसा बेचारा नहीं देखा |
वाह.....बहुत सुंदर बेहतरीन रचना लिखी आपने...
MY RECENT POST.... काव्यान्जलि ...: कभी कभी.....
बहुत सुंदर ......
जवाब देंहटाएंसभी सुन्दर ..पर दूसरी और तीसरी खास पसंद आई.
जवाब देंहटाएंतेरे इस गूंगे घर से तो
जवाब देंहटाएंखंडहर ही बेहतर हैं
वहां कम से कम पत्थर तो बाते करते हैं |
.....लाज़वाब ! सभी बहुत सुन्दर और दिल को छू जाती हैं...आभार
बहुत ही सुन्दर भाव...कर गये बहुत गहरे और गंभीर घाव...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंघूम-घूमकर देखिए, अपना चर्चा मंच ।
लिंक आपका है यहीं, कोई नहीं प्रपंच।।
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
--
डॉ. रूपचंद्र शास्त्री "मयंक"
टनकपुर रोड, खटीमा,
ऊधमसिंहनगर, उत्तराखंड, भारत - 262308.
Phone/Fax: 05943-250207,
Mobiles: 08542068797, 09456383898,
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09997996437, 07417619828
Website - http://uchcharan.blogspot.com/
बड़ी हसरतों से जमा किये थे शबनम के मोती
जवाब देंहटाएंस्वर्ण रथ पर आया लुटेरा
सब चुरा के ले गया |
सभी त्रिवेणियाँ एक से बढ़ कर एक हैं ! हर भाव बेमिसाल है और अभिव्यक्ति लाजवाब ! बधाई स्वीकार करें !
जवाब देंहटाएं♥
सचमुच खरी-खरी त्रिवेणियां !
बहुत अच्छी लगीं …
आदरणीया राजेश कुमारी जी
सादर प्रणाम !
सभी एक से बढ़कर एक हैं … किसी एक को कोट करने से संतुष्टि नहीं होगी , इस लिए सातों त्रिवेणियों के लिए बधाई स्वीकार करें …
मंगलकामनाओं सहित…
-राजेन्द्र स्वर्णकार
मेरे अपने ही फूलों ने
जवाब देंहटाएंझुका दिया इस डाली को
वर्ना मेरी गर्दन ने कभी झुकना नहीं सीखा |
(६)बहुत सार्थक विचार कणिकाएं त्रिवेनियाएं हैं .बधाई स्वीकार करें .कृपया यहाँ भी पधारें -
शनिवार, 12 मई 2012
क्यों और कैसे हो जाता है कोई ट्रांस -जेंडर ?
क्यों और कैसे हो जाता है कोई ट्रांस -जेंडर ?
http://veerubhai1947.blogspot.in/