सुबह सवेरे मंदिर में वो मन्त्रों का जाप
सांझ ढले दूर से आती वो ढोलक की थाप
भोर में कानों में पड़ता वो ग्वालों का गान
सांझ ढले चौपालों पर वो आल्हा की तान
बीच गाँव में पीपल की वो ठंडी- ठंडी छाँव
मुंडेर पे बैठे कौवो की वो लम्बी कांव-कांव
ट्यूवैलों में पानी की वो होती भक- भक
धान कूटते मूसल की वो होती ठक- ठक
खुली छत पे लेटे हुए वो तारों का देखना
सर्दी की ठिठुरन में चूल्हे पर हाथ सेंकना
मक्के की रोटी,लस्सी और सरसों का साग
गर्म-गर्म गुड और गन्ने के रस का झाग
बहुत याद आते हैं
हाँ.....
जवाब देंहटाएंवो नानी की कहानियां भी......
सुंदर भाव,,,
सादर
सच में ........ये सब बहुत याद आता है ...!!
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना ..
शुभकामनायें
जब वो पुरानी बातें बहुत याद आती है...तब बहुत अच्छा लगता है....सुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएंपिंडा विच दिल होर यार बसदा वे ,
जवाब देंहटाएंसांझी जिंदगानी ,संस्कार बसदा वे ....
मापियाँ दा लाड ,बेसुमार बसदा वे ....
अब तो यादों में गाँव हैं ......सुन्दर सृजन
अब तो वे सब किसी दूसरी दुनिया की बातें लगती हैं -वह माधुर्य जीवन से सदा को चला गया !
जवाब देंहटाएंये यादें धरोहर हैं
जवाब देंहटाएंअब कहाँ ये गाँव..बस यादें ...
जवाब देंहटाएंगाँव की सीधी सच्ची तस्वीर उभारी है आपने इस कविता में...बहुत मनोहारी दृश्य !
जवाब देंहटाएंसीधे सादे शब्दों में छिपे हुए बहुत ही कोमल भाव
जवाब देंहटाएंreally mesmerising
thank u mam
बहुत सुंदर मन के भाव ...
जवाब देंहटाएंप्रभावित करती रचना .
याद बहुत आते वे रस्ते..
जवाब देंहटाएंसच कहा .... ह्रदय में बसी हैं वे समृतियाँ
जवाब देंहटाएंbahut sundar chitra- shahron ke kolahal se door
जवाब देंहटाएंमक्के की रोटी,लस्सी और सरसों का साग
जवाब देंहटाएंगर्म-गर्म गुड और गन्ने के रस का झाग
बहुत याद आते हैं
और गाँव के लोग शहर के उजाड़ में याद बहुत आतें हैं ,बढ़िया प्रस्तुति ,शानदार .. .कृपया यहाँ भी पधारें -
रविवार, 27 मई 2012
ईस्वी सन ३३ ,३ अप्रेल को लटकाया गया था ईसा मसीह
.
ram ram bhai
को सूली पर
http://veerubhai1947.blogspot.in/
तथा यहाँ भी -
चालीस साल बाद उसे इल्म हुआ वह औरत है
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/
और गाँव के लोग शहर के उजाड़ में याद बहुत आतें हैं ,बढ़िया प्रस्तुति ,शानदार .. .कृपया यहाँ भी पधारें -
जवाब देंहटाएंरविवार, 27 मई 2012
ईस्वी सन ३३ ,३ अप्रेल को लटकाया गया था ईसा मसीह
.
ram ram bhai
को सूली पर
http://veerubhai1947.blogspot.in/
तथा यहाँ भी -
चालीस साल बाद उसे इल्म हुआ वह औरत है
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/
गाँव का बहुत ही सजीव और सुन्दर चित्रण किया है...
जवाब देंहटाएंसच में ये सारी चीजे बहुत याद आती है...
बहुत ही बेहतरीन रचना....
सर्दी की ठिठुरन में चूल्हे पर हाथ सेंकना
जवाब देंहटाएंमक्के की रोटी,लस्सी और सरसों का साग
गर्म-गर्म गुड और गन्ने के रस का झाग
बहुत याद आते हैं ....
Ah! Mouth watering creation...
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