खोल दिए पट श्यामल अभ्रपारों ने
मुक्त कर दिए वारि बंधन
नहा गए उन्नत शिखर
धुल गई बदन की मलिनता
दमक उठे हिमगिरी
झूम उठी घाटियाँ
थिरक उठी वादियाँ
लहरा गई नीली चुनरिया
अम्बर की छाती पर|
ठहरी -ठहरी सी तरंगिणी
बह चली द्रुत गति से
बल खाती हुई
गुनगुनाती हुई
गुनगुनाती हुई
पत्थरों के संग
अठखेलियाँ करती हुई
मैं चुपके से अपनी अंजुरी में
रंगों को समेटे
बाहर आया
पड़ गई मयूर की प्यासी नजर,
अपनी प्रेयसी को रिझाने,
के लिए अपने पंखों
का श्रृंगार करने के लिए,
मुझसे कुछ रंग मांग कर ले गया |
उसका रोम रोम झूम उठा
अपने नृत्य से
सारी प्रकृति को मन मोहित कर दिया
,पल्लवों ने
झूम झूम कर करतल ध्वनी की|
शाखाओं ने
एक दूजे को बाहों में लेकर
बधाईयाँ दी
ना जाने कहाँ से
एक छोटी सी चंचल
तितली मेरे रंगों में
अपने नन्हें नन्हें पंख
डुबोकर इतराती इठलाती
एक पुष्प की गोदी में बैठ कर बोली
रंगों का राजा आया है
तुम भी अपना सोलह श्रृंगार करलो:
सारी प्रकृति में बात फ़ैल गई
मैंने अपना बचा रंग सारी
प्रकृति में वितरित कर दिया
और फिर विस्मित आँखों से
धरा के उस आलौकिक
रूप को देखता ही रह गया
और उस महान चित्रकार को
जिसकी कला में मैंने रंग भरा
नमन करते हुए
चल दिया अपनी राह
फिर से रंग समेटने
और इंतज़ार करने
की कब कोई मेघ श्रंखला
अपने बंधन खोलेगी
और हिमगिरी
की घाटियाँ मेघ मल्हार
गायेंगी और प्रकृति
नृत्य करेगी |
और मैं मुस्कुराता हुआ
फिर किसी दिशा में निकल आऊंगा
,अपने रंग बिखेरने
चुपके से |
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अरे वाह ...यही प्रभु की लीला है ....
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर भी रंगों की छटा है आज ....!
कमाल है जी ....
बहुत बहुत मंगलकामनाएं राजेश जी ....!
लाज़वाब...बहूत ही उत्कृष्ट अभिव्यक्ति..आभार
जवाब देंहटाएंशब्दों की अद्भुत छटा बिखेरी है आपने..
जवाब देंहटाएंलाजबाब रचना लिखी आपने ,..अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंMY RECENT POST,,,,फुहार....: बदनसीबी,.....
इतराती इठलाती सी प्यारी सी रचना ।
जवाब देंहटाएंलाजबाब रचना .... उत्कृष्ट अभिव्यक्ति..आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर मन के भाव ...
जवाब देंहटाएंBahut Pyari Rang Bahri Rachna....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर .... रंगों की बहार है
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंफिर से रंग समेटने
जवाब देंहटाएंऔर इंतज़ार करने
की कब कोई मेघ श्रंखला
अपने बंधन खोलेगी
और हिमगिरी
की घाटियाँ मेघ मल्हार
गायेंगी और प्रकृति
नृत्य करेगी ....
very impressive...
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प्रकृति का प्रकृतिमय चित्रण
जवाब देंहटाएंवाह ...बहुत ही बढि़या।
जवाब देंहटाएंबहुत बढि़या.
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी सी सुन्दर अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी और सार्थक प्रस्तुति....बहुत ही सुन्दर चाह सब ओर रंग बिखेरने की..आभार
जवाब देंहटाएंये रंग न हों तो ज़िन्दगी बेरंग है।
जवाब देंहटाएंकब कोई मेघ श्रंखला
जवाब देंहटाएंअपने बंधन खोलेगी
और हिमगिरी
की घाटियाँ मेघ मल्हार
गायेंगी और प्रकृति
नृत्य करेगी ...
Beautiful expression...
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बहुत सुन्दर रचना..
जवाब देंहटाएंदूसरा ब्रम्हाजी मंदिर आसोतरा में .....