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शनिवार, 12 मई 2012

माँ तुम्हें कहाँ से लाऊं ???


१३/५/१२ को मात्र  दिवस की  सबको शुभकामनाएं 
(मेरी दो कवितायें )
(1) 
वो छोटी सी पगडण्डी 
जिसकी नुकीली झाड़ियाँ 
अपने हाथों से काटकर 
बनाई थी तुमने मेरे चलने के लिए 
आज वो कंक्रीट की सड़क बन गई है 
जो पौधा अपने आँगन 
में लगाया था तुमने 
वो सघन दरख़्त बन गया है 
नई- नई कोंपले 
भी निकल आई हैं उसपर 
जो नन्हा दिया जलाया 
था तुमने मुझे रौशनी देने के लिए 
वो अब आफताब बन गया है 
तुम्हारे उस कच्ची माटी के घरौंदे 
ने कंक्रीट के परिधान पहन लिए हैं 
तुमने जो एक बार मेरे सामने 
दो लकीरें खींची थी 
जिनके अंतिम छोर पर एक- एक
चाकलेट रखी थी  
और एक लकीर पर फूल बिछाए थे 
और एक पर छोटे- छोटे पत्थर
फिर मुझे कहा था 
कि किसी एक लकीर पर चलकर 
चाकलेट उठा कर लाओ 
आज मैं उसका अर्थ समझ चुका हूँ 
तुम्हारी कसम आज मैंने 
पत्थरों वाली लकीर पर चलकर
अपना लक्ष्य प्राप्त किया है 
मंजिल मेरी मुठ्ठी में है 
चाहता हूँ खोल कर दिखाऊं
पर माँ तुम्हें कहाँ से लाऊं ??? 
         *******
(2)
O’MY MOM YOU LEFT ME ALONE
My sky has crashed down,
the piller of my palace ruin down,
how can I stop my tears
from rolling down.
My words my thoughts
All Have gone,
, O, Mom!  when
you Left me alone.
Always you guide me
In the right direction,
Always you shaped me
In the mould of perfection.
With out you ,
waves of my ocean
have scattered
O”Mom! 
When you left me shattered...
You always gave me
Self confidance
Which taught  me
To be  efficient.
Now a surge of sorrow
Overwhelms me
When I see you are
In the cradle of rest,
How can I live my life
With full of zest.
Come to  hug me in my
Dream land
O” my Mom! ,my best friend.
   (I LOVE YOU MOM)




26 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही भावप्रणव रचना!
    ममतामयी माँ को नमन!!

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  2. तुम्हारी कसम आज मैंने
    पत्थरों वाली लकीर पर चलकर
    अपना लक्ष्य प्राप्त किया है .... उस लक्ष्य में भी माँ है

    जवाब देंहटाएं
  3. जि़क्र तेरा आया ,आँखें मेरी भर आई
    माँ तुम बहुत याद आई......ममतामयी माँ को नमन!!...सुन्दर रचना..

    जवाब देंहटाएं
  4. इतने सारे खूबसूरत एहसास एक साथ भावप्रणव रचना!
    ममतामयी माँ को नमन!!..

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  5. "दिल को छू गई |माँ का तो कोई पर्याय ही नहीं है |

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  6. अपना लक्ष्य प्राप्त किया है
    मंजिल मेरी मुठ्ठी में है
    चाहता हूँ खोल कर दिखाऊं
    पर माँ तुम्हें कहाँ से लाऊं ???
    सुंदर रचना

    चार पंक्तियाँ माँ के सम्मान में ,...

    माँ की ममता का कोई पर्याय हो नहीं सकता
    पूरी दुनिया में माँ तेरे जैसा कोई हो नही सकता
    माँ तेरे चरण छूकर सलाम करता हूँ
    सभी माताओ को प्रणाम करता हूँ..

    MY RECENT POST ,...काव्यान्जलि ...: आज मुझे गाने दो,...

    जवाब देंहटाएं
  7. सुन्दर , सार्थक रचनाएँ ।
    मदर्स डे की शुभकामनायें ।

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  8. दिल को छूती बहुत भावपूर्ण रचनायें...आभार

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  9. दोनों ही रचनाएँ बहुत सुंदर

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  10. माँ को याद करने का मन सदा ही हो जाता है।

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  11. आँखें नम हुयीं आपकी रचना पढ़कर

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  12. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    --
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

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  13. मन भर आया,,,,,,,,,,,,,,,

    बहुत प्यारी अभिव्यक्ति...

    सादर.

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  14. बहुत बेहतरीन व प्रभावपूर्ण रचना....
    मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।

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  15. माँ ने जिन पर कर दिया, जीवन को आहूत
    कितनी माँ के भाग में , आये श्रवण सपूत
    आये श्रवण सपूत , भरे क्यों वृद्धाश्रम हैं
    एक दिवस माँ को अर्पित क्या यही धरम है
    माँ से ज्यादा क्या दे डाला है दुनियाँ ने
    इसी दिवस के लिये तुझे क्या पाला माँ ने ?

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  16. प्रभावशाली रचना...हृदय स्पर्शी प्रस्तुति

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  17. बेहतरीन रचनाएँ. मदर्स डे पर शुभकामनायें.

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  18. सुन्दर ,,,बेहतरीन रचना....
    happy mother's day:-)

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  19. अनुपम भावों का संयो‍जन ... आभार ।

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  20. हमारे जीवन की पगडण्‍डी को कंक्रीट की सड़क में तब्‍दील कर देने वाली, शिशुरूपी पौधे को को सघन फलदायी दरख्‍़त में तब्‍दील कर देने वाली और शिक्षक की ही तरह मिट्टी को घड़ा बना देने वाली मॉं ही हो सकती है । बहुत अच्‍छी कविता ।

    मेरी पोस्‍ट आपको पसन्‍द आई इसके लिए धन्‍यवाद ।

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