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गुरुवार, 21 जुलाई 2011

उनकी प्रतीक्षा

                                                 छालों से भरी हैं उँगलियाँ 
हो रही लहू से लाल 
पर ना हिम्मत हुई है जख्मी 
ना मन में कोई मलाल !
बुनता जाऊँगा रस्सियाँ 
फंदे मैं कई हजार 
राह देखती आँखे 
उनका है इन्तजार !
वो गर्दनें जिनके ऊपर 
देत्यों का मस्तिष्क फड़कता  है 
जिनके नीचे बर्बरता का दिल धडकता है ,
जो महमां बने हुए वतन के 
काराग्रह के लाल 
उड़ा रहे शासन तंत्र की धज्जियाँ 
सुरक्षा बल हो रहे हलाल !
कल जिनके लिए फंदे मैं बुनता था 
वो देश पर मिटने वाले थे 
आज जिनके लिए बुनता हूँ मैं 
वो देश मिटाने वाले हैं !
कल जिगर में छाले होते थे 
आँखों में समंदर होते थे 
वो चूम के अपने होठों से 
इस फंदे को पहनते थे !
आज ये छाले मुझ पर हँसते है 
दिल खोल के छीटें कसते हैं 
जी करता है कुछ कर जाऊं ,
वो आयेंगे अब ये शक है मुझे 
बेहतर है खुद ही लटक जाऊं !
बन्दे मातरम !

12 टिप्‍पणियां:

  1. शब्द-शब्द संवेदनाओं से भरी इस सार्थक रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई।

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  2. कमाल की अभिव्यक्ति है आपकी.
    फांसी की रस्सी का फन्दा बुनने वाले की मनोदशा
    का बहुत मार्मिक चित्रण प्रस्तुत किया है आपने.

    अनुपम प्रस्तुति के लिए आभार.

    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.

    जवाब देंहटाएं
  3. आज ये छाले मुझ पर हँसते है
    दिल खोल के छीटें कसते हैं
    जी करता है कुछ कर जाऊं ,
    वो आयेंगे अब ये शक है मुझे
    बेहतर है खुद ही लटक जाऊं
    --
    बहुत ही भावप्रणव रचना लिखी है आपने तो!
    आभार!

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुन्दर तुलना की है आपने शहीदों व् आतंकवादियों की .निश्चय ही शहीदों को द्वारा चूमा गया फंदा अपनी सार्थकता को अभिव्यक्त करता है .बहुत सुन्दर रचना .

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  5. संवेदनाओं से भरी सार्थक रचना.

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  6. देश प्रेम का जज्बा लिए हुए एक देश प्रेमी कविता *******
    वन्दे मातरम *********!!!!

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  7. आदरणीया राजेश कुमारी जी प्यारी रचना दर्द से भरी शहीदों की याद आई आततायियों को मिटाने के लिए इनको सबक सिखाना जरुरी है जो हमारे खर्चे पर पल हमें ही खाए जा रहे हैं
    भ्रमर ५
    कल जिनके लिए फंदे मैं बुनता था
    वो देश पर मिटने वाले थे
    आज जिनके लिए बुनता हूँ मैं
    वो देश मिटाने वाले हैं !

    जवाब देंहटाएं
  8. छालों से भरी हैं उँगलियाँ
    हो रही लहू से लाल
    पर ना हिम्मत हुई है जख्मी
    ना मन में कोई मलाल !... tabhi to hai apna bharat mahan

    जवाब देंहटाएं
  9. उनका है इन्तजार !
    वो गर्दनें जिनके ऊपर
    देत्यों का मस्तिष्क फड़कता है
    जिनके नीचे बर्बरता का दिल धडकता है ,

    aaj ke netaon ki beete kal ke swatantra sangramiyon se tulnatmak chitran bahut achha hai.

    shubhkamnayen

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