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बुधवार, 13 जुलाई 2011

एसे मानव जीवन पर धिक्कार है धिक्कार है

I had written this poem that time when terrorist attack happened in delhi.And to day again bomb blast in bombay.seeing sobbing,screaming ,crying people over the dead bodies of their loving ones my burning shattered thoughts came up in this way....Is there any end.....

एसे मानव जीवन पर धिक्कार है धिक्कार है

मानव के फूटते ज्वालामुखी
लहू का बहता लावा
धराशाई होती इंसानियत
दम तोड़ता शासन तंत्र का दावा
कर्ण पटल को चीरती
ह्रदय विदारक चीखें
हौल के साए में घुट रही
देखो अमन की तारीखें
जाने कैसा इतिहास रच रही हैं
शहीदों की बढती मजारें
लहू से रंगी दीवारें
शवों की लम्बी कतारें 
जन जन का विचलित मन
कर रहा चीत्कार है चीत्कार है
एसे मानव जीवन पर धिक्कार है धिक्कार है !!

20 टिप्‍पणियां:

  1. धिक्कार है ऐसे जीवन पर
    बहुत सुन्दर और मार्मिक रचना

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  2. लहू से रंगी दीवारें
    शवों की लम्बी कतारें
    जन जन का विचलित मन
    कर रहा चीत्कार है चीत्कार हैbilkul sahi chitran aaj hamare deash main yahi ho raha hai.badhaai aapko.

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  3. क्या ख़ाका खींचा है आज के विकृत समाज और व्यवस्था की तस्वीर का बहुत सुन्दर धन्यवाद

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  4. रश्मि प्रभाजी ने सही कहा है हैवानों को कोई फर्क नहीं पड़ता इंसानों को ही पड़ सकता है. जब तक समाज में कहीं भी अन्याय होता रहेगा उसकी सजा बेकसूरों को मिलती रहेगी.

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  5. इंसान ही इंसान के खून का प्यासा ... ऐसे इंसानों पर सच में धित्कार है ...

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  6. जो ऐसे कृत्य कर रहे हैं वो मानव हैं कहाँ ? अच्छी रचना

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  7. बिल्कुल सही समय पर आपने एक सुंदर विषय और सकारात्मक सोच प्रस्तुत किया है !
    कृपया आगे भी अपनी लेखनी को रुकने ना दें आप जैसे लोगों से ही हमें प्रेरणा प्राप्त होती है तथा कलम को ताकत मिलती है !

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  8. समाचार सुन कर दिल को धक्का सा लगा !
    कैसी है आज की हमारी नकारी सरकार ?
    कि मनमोहन सिंह अब भी वही रटा रटाया वाक्य कह रहे हैं की
    कोई हमारे धैर्य की परीक्षा न ले |
    ना जाने कब इनका धैर्य टूटेगा ? क्या चाहते हैं ये ?
    हर कोई सब कुछ जानता है फिर भी ये सरकार चुप्पी लगा कर बैठी हुई है |
    इनके लिए तो बाबा रामदेव जैसे देश भक्त महा ठग व पुलिसिया दरिंदगी के पात्र है
    जब कि कसाब तथा लादेन जैसे दुर्दांत आतंकवादी आदर व मानवीय संवेदना के पात्र है |
    क्या ये देश को रसातल में जाने कि प्रतीक्षा कर रहे हैं

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  9. पूरे 36 घण्टे बाद नेट पर आना हुआ!
    --
    आपकी रचना बहुत सारगर्भित है!

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  10. दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति।

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  11. aise chinta manavataa ke liye zarooree hai. log jagen , atb sarthakata bhi hai..aapke sundar vicharon k liye sadhuvaad.

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  12. what happened in Mumbai was sad.. but what happening post that is more distressing.
    Absurd comments from top notch politicians..
    Disgusting

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  13. ऐसा हमारे देश में क्यों होता है...क्या अमन-चैन से रहना हर किसी को अच्छा नहीं लगता...

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  14. दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति मार्मिक रचना

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  15. बहुत कुछ सोचने पर विवश करती हुई रचना

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