कैसे कहूँ सब
कुछ तो रहने दो
इस खुली किताब में
जो एक अध्याय मेरा है
उसे मेरा ही रहने दो !
वो सतरंगी मोती
जो मेरे दिल की गहराइयों
से निकलकर ,
बिखर गए हैं उन पन्नों पर
मत समेटो
वैसे ही रहने दो !
मेरा स्वयं वहीँ तो रहता है
जहाँ चाँद जमीं पर उतरता है
धरा पतंग बन जाती है ,
सागर गागर में आता है ,
श्वांस पवन बन जाती है !
यहीं तो मेरी कल्पना,
पराकाष्ठ को छूती है
और असंभव के आवरण
से बाहर निकल,
संभव में बदलते उन क्षणों को
अपने में समेट कर
दूर निकल जाती हूँ !
संतुष्ट हूँ कि यहाँ
मेरे और स्वयं के बीच
कोई नहीं है !
कुछ क्षण ही तो मेरे हैं
और कुछ जज्बात
जो इस अध्याय में बंद हैं
इन्हें यूँ ही बहने दो !
कैसे कहूँ सब
कुछ तो रहने दो !!
कुछ क्षण ही तो मेरे हैं और कुछ जज्बात
जवाब देंहटाएंजो इस अध्याय में बंद हैं
इन्हें यूँ ही बहने दो !
कैसे कहूँ सब
कुछ तो रहने दो !!
...सबको जीवन में देते रहने से आदमी के पास अपने लिए कुछ क्षण ही तो बचते है और उसमें ही वह सही अर्थों में कहाँ सुख चैन से रह पाता है..
बहुत अच्छी लगी आपका रचना..
हार्दिक शुभकामनायें!
beautiful post. THis poem touched my heart,
जवाब देंहटाएंexcellent write!
मनोभावो से लबरेज़ कविता बहुत पसन्द आयी।
जवाब देंहटाएंएक अपना भी आसमान हो।
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा!
जवाब देंहटाएंआज करगिल शहीद दिवस पर बहुत सुन्दर रचना प्रस्तुत की है आपने!
कल कल छल छल करती मनो भावों के आवेग के साथ बहती बहाती औरों को अपने संग साथ तादात्म्य कर ले उडती है यह रचना .
जवाब देंहटाएंकुछ क्षण ही तो मेरे हैं
जवाब देंहटाएंऔर कुछ जज्बात
जो इस अध्याय में बंद हैं
इन्हें यूँ ही बहने दो !
कैसे कहूँ सब
कुछ तो रहने दो !! ....
soul stirring lines ! The creation made me emotional !
some feelings , emotions and dreams are very personal !
True , very true !
.
कैसे कहूँ सब
जवाब देंहटाएंकुछ तो रहने दो
इस खुली किताब में
जो एक अध्याय मेरा है
उसे मेरा ही रहने दो !
वो सतरंगी मोती
जो मेरे दिल की गहराइयों
से निकलकर ,
बिखर गए हैं उन पन्नों पर
मत समेटो
बहुत सुंदर संवेदनशील भाव समेटे हैं
आपका तहे दिल से शुक्रिया मेरे ब्लॉग पे आने के लिए और शुभकामनाएं देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद/शुक्रिया..
जवाब देंहटाएंकुछ क्षण ही तो मेरे हैं
जवाब देंहटाएंऔर कुछ जज्बात
जो इस अध्याय में बंद हैं
इन्हें यूँ ही बहने दो !
कैसे कहूँ सब
कुछ तो रहने दो !!
sach me khubsurat kavita........
वो सतरंगी मोती
जवाब देंहटाएंजो मेरे दिल की
गहराइओं से निकलकर ,
बिखर गए हैं उन पन्नों पर -----बहुत सही कथ्य---काव्य दिल के मोटी ही तो होते हैं जो कागज़ पर फिसल आते हैं ...अत्युत्तम...बधाई ...
खुद के लिए बचाए लम्हों को अपने पास सहेजने की चाह लिए ... कमाल के भाव हैं रचना में ..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन कविता ....बधाई
जवाब देंहटाएंआफ्टर आल प्राइवेसी भी कोई चीज़ है...इसकी अहमियत को बखूबी उकेरा है...
जवाब देंहटाएंकैसे कहूँ सब
जवाब देंहटाएंकुछ तो रहने दो !! in do panktiyon me bahut kuch hai
लगता है कि मेरी किताब के कई अनछुए पन्ने आपने एकसाथ खोल दिये हैं !
जवाब देंहटाएंमेरे सारे शब्द जैसे कहीं खो गए हैं आपकी इस रचना के साथ..!!
just fantastic ....