हिज्रेगम से भरी मेरी उन आँखों की वीरानी तो याद होगी !
चट्टानों से सर फोड़ कर जब जा रही थी लहर
उसकी जख्मों से भरी वो पेशानी तो याद होगी !
खोल के देख अपने दिल की किताब
किसी बरखे में छुपी मेरी निशानी तो याद होगी !
जब दफन किया था मेरे जिस्म को तेरे ही दर के सामने
उस कब्र पे लिखी मेरी कहानी तो याद होगी !!
बहुत सुंदर रचना......
जवाब देंहटाएंउफ़ …………क्या खूब गज़ल लिखी है दर्द ही दर्द भर दिया है।
जवाब देंहटाएंBeauteous is the only word I can think of.
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ...शुभकामनायें !!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंआप गजल भी अच्छी लिखतीं हैं!
बहुत खूब.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर.
जब दफन किया था मेरे जिस्म को तेरे ही दर के सामने
जवाब देंहटाएंउस कब्र पे लिखी मेरी कहानी तो याद होगी !!बहुत ही बढ़िया
लाजवाब लिखा है आपने.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जब दफन किया था मेरे जिस्म को तेरे ही दर के सामने
जवाब देंहटाएंउस कब्र पे लिखी मेरी कहानी तो याद होगी !bahut sunder najm.dil ko choo cai aapki prastuti.badhaai aapko.
please visit my blog and leave a comment also.aabhaar
लाजवाब गजल व बहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
"खोल के देख अपने दिल की किताब
जवाब देंहटाएंकिसी बरखे में छुपी मेरी निशानी तो याद होगी !"
बहुत सुन्दर व् ज़ज्बाती रचना के लिए शुक्रिया..
आशु
लाजवाब सुन्दर ज़ज्बाती बहुत ही बढ़िया
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