छोड़ दो आदत पुरानी
पतंगों से पेंच लड़ाने की
काट के गर्दन किसी की
कहकहे लगाने की !
अब समझो न इसको दुर्बल
स्वाभिमान और आत्मनिर्भरता
बढाते हैं अब इसका मनो बल !
उच्च शिक्षा और ज्ञान से
बनी है ये डोर नई जमाने की
काट न पाओगे इसको
छोड़ो ये जिद बढ़ाने की !
करो न अब ये भूल
न झूठे दंभ के स्तम्भ पर चढ़ते रहो
बेहतर है अब नील गगन में
इसके संग संग उड़ते रहो !
एक दूजे के संबल हो
ये बात नहीं भूल जाने की
छोड़ दो आदत पुरानी
पतंगों से पेंच लड़ाने की !!
एक दूजे के संबल हो
जवाब देंहटाएंये बात नहीं भूल जाने की
छोड़ दो आदत पुरानी
पतंगों से पेंच लड़ाने की !!
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बहुत बढ़िया!
मगर आदत छूटती ही कहाँ हैं!
सार्थक सीख देती सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंवाह बेहद उम्दा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपकी रचना यहां भ्रमण पर है आप भी घूमते हुए आइये स्वागत है
http://tetalaa.blogspot.com/
एक दूजे के संबल हो
जवाब देंहटाएंये बात नहीं भूल जाने की
छोड़ दो आदत पुरानी
पतंगों से पेंच लड़ाने की !!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति,
बेहद खूबसूरत कविता
जवाब देंहटाएंमिलकर स्नेह के साथ रहना चाहिए और आपसी घात-प्रतिघात से कोई फ़ायदा नहीं होने वाला इस सोच के साथ लिखी इस कविता के माध्यम से आपने एक अच्छा संदेश देने की कोशिश की है।
जवाब देंहटाएंमर्मस्पर्शी रचना बधाई स्वीकारिए।
जवाब देंहटाएंबहुत सार्थक और सुन्दर प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंदोस्तों नमस्कार
जवाब देंहटाएंआप भी सादर आमंत्रित हैं
एक्यूप्रेशर चिकित्सा पद्धति का परिचय
ये मेरी पहली पोस्ट है
उम्मीद है पसंद आयेंगी
beautiful composition with a great message !!
जवाब देंहटाएंएक दूजे के संबल हो
जवाब देंहटाएंये बात नहीं भूल जाने की
छोड़ दो आदत पुरानी
पतंगों से पेंच लड़ाने की !! ...
राजेश जी , बहुत ही सार्थक शिक्षा दी गयी है इस रचना में। बहुत पसंद आई।
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छोड़ दो आदत पुरानी
जवाब देंहटाएंपतंगों से पेंच लड़ाने की
काट के गर्दन किसी की
कहकहे लगाने की !
इन चार पंक्तियों में ही आपने बहुत कुछ कह दिया !
पूरी कविता अच्छे भाव का सृजन करती है !
आभार !
एक दूजे के संबल हो
जवाब देंहटाएंये बात नहीं भूल जाने की
छोड़ दो आदत पुरानी
पतंगों से पेंच लड़ाने की !!bahut sunder bhav liye saarthak rachanaa.badhaai aapko.
please visit my blog and leave a comment.thanks
सुन्दर रचना ।
जवाब देंहटाएंछोड़ दो आदत पुरानी
जवाब देंहटाएंपतंगों से पेंच लड़ाने की
काट के गर्दन किसी की
कहकहे लगाने की !
मर्मस्पर्शी रचना बधाई
छोड़ दो आदत पुरानी
जवाब देंहटाएंपतंगों से पेंच लड़ाने की
काट के गर्दन किसी की
कहकहे लगाने की !
.....वाह! बात कहने के लिए अच्छी उपमा दी है आपने.
मेरे ब्लॉग पर आने का आभार.....स्वागत..... स्नेह बनाये रखने का आग्रह
----देवेंद्र गौतम
एक दूजे के संबल हो
जवाब देंहटाएंये बात नहीं भूल जाने की
छोड़ दो आदत पुरानी
पतंगों से पेंच लड़ाने की !!
kitni sunder kavita likhi hai aapne
badhai
rachana
करो न अब ये भूल
जवाब देंहटाएंन झूठे दंभ के स्तम्भ पर चढ़ते रहो
बेहतर है अब नील गगन में
इसके संग संग उड़ते रहो !
Umda bhav...Bahut sunder
बिगडी आदत आसानी से न छोडी जाये,
जवाब देंहटाएंछोड़ दो आदत पुरानी
जवाब देंहटाएंपतंगों से पेंच लड़ाने की
काट के गर्दन किसी की
कहकहे लगाने की !
bahut sundar shikshaprad rachna...!!
***punam***
bas yun...hi..
बेहतरीन.
जवाब देंहटाएंसादर
एक दूजे के संबल हो
जवाब देंहटाएंये बात नहीं भूल जाने की
छोड़ दो आदत पुरानी
पतंगों से पेंच लड़ाने की !! ....
बहुत सारगर्भित और प्रेरक प्रस्तुति..