कितना खारा है तू
फिर भी लहरों का तुझे चूम के आना अच्छा लगा !
कितनी लम्बी है तेरे वजूद की चादर
कुछ दूर नंगे पाँव चल के जाना अच्छा लगा !
कितने बवंडर ,कितने तूफ़ान छुपे है तेरे सीने में
फिर भी प्यार से ऊँगली फिराना अच्छा लगा !
डर था मर ना जाऊं तेरी आगोश में कंही
फिर भी कुछ लम्हे तुझ में समाना अच्छा लगा !!
प्रेम से पगी सुन्दर रचना ..यही कुछ लम्हे जीवन पर्यंत साथ रहते हैं
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
कितने बवंडर ,कितने तूफ़ान छुपे है तेरे सीने में
जवाब देंहटाएंफिर भी प्यार से ऊँगली फिराना अच्छा लगा !
tumse kuch kahna aur sunna achha laga
तेरा अस्तित्व चारों ओर फैला है उतना तो चलना असंभव है इसलिये कुछ दूर तो चल ही लें ताकि कुछ चैन मिले करार आये। डर भी लगरहा है डूव न जायें मगर डूवने की इच्छा भी है तो कुछ क्षण ही सही। शानदार प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंप्रेम रस मे पगी बहुत ही सुन्दर कविता दिल को छू गयी।
जवाब देंहटाएंइतनी खुशनुमा तस्वीर देखकर और प्रेम से भरपूर रचना पढ़कर , मन उल्लास युक्त हो गया। आपका सौन्दर्य आपकी रचनाओं में झलकता है। 'प्रेम' को परिभाषित करती एक उम्दा कृति।
जवाब देंहटाएंकितने बवंडर ,कितने तूफ़ान छुपे है तेरे सीने में
जवाब देंहटाएंफिर भी प्यार से ऊँगली फिराना अच्छा लगा !
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बहुत सुन्दर भावप्रणव और मखमली रचना लिखी है आपने!
इसे शेयर करने के लिए आभार!
सीधे शब्दों में आपसे कहे कि हम सबको अच्छा लगा .
जवाब देंहटाएंआसान शब्दों में अच्छी रचना। बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंकितना खारा है तू
फिर भी लहरों का तुझे
चूम के आना अच्छा लगा !
बहुत सुंदर...मन के सीधे सच्चे भाव उकेरे हैं आपने..
जवाब देंहटाएंडर था मर ना जाऊं तेरी आगोश में कंही
जवाब देंहटाएंफिर भी कुछ लम्हे तुझ में समाना अच्छा लगा!!
बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल बहुत ही अच्छा लगा पढ़ कर
सुन्दर भाव प्रस्तुति -समुन्दर की आदत है कुदरत फितरत है अपने आप अपना आकार कम ज्यादा कर लेता है ,कभी ज्वार बन तो कभी भाटा ,लहरों को यह बहुत भाता ,इसीलिए आगोश में लिपटने को आतुर दिखतीं हैं .
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रेममयी कविता.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता. राजेश कुमारी जी, मेरे चिट्ठे पर आने और आप की सराहना के लिए बहुत धन्यवाद. ;)
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